काहिरा:
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वाच ने कहा है कि मिस्र के सैन्य शासकों ने वादा किया है कि जेल में बंद महिलाओं का अब आगे से कौमार्य परीक्षण नहीं कराया जाएगा। पिछले महीने सीएनएन के साथ साक्षात्कार में एक जनरल द्वारा यह स्वीकार किए जाने के बाद लोगों में रोष भड़क उठा था कि मार्च में हिरासत में ली गई कुछ महिला प्रदर्शनकारियों का कौमार्य परीक्षण कराया गया था। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे यातना करार दिया था। ह्यूमन राइट्स वाच में कार्यकारी निदेशक केनेथ रोथ ने काहिरा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में सत्तारूढ़ सशस्त्र बलों की सर्वोच्च परिषद ने वादा किया है कि जेल में बंद महिला प्रदर्शनकारियों का आगे से कौमार्य परीक्षण नहीं कराया जाएगा। सशस्त्र बलों की सर्वोच्च परिषद फरवरी में राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के अपदस्थ होने के बाद से देश पर शासन कर रही है। सीएनएन को साक्षात्कार देने वाले जनरल ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कौमार्य परीक्षण को जायज ठहराया था। उसने कहा था, हम यह नहीं चाहते थे कि वे (महिला प्रदर्शनकारी) हम पर आरोप लगाएं कि हमने उनसे बलात्कार किया है, इसलिए हम यह साबित करना चाहते थे कि वे पहले से ही कुंवारी नहीं थीं। जनरल ने कहा था, जिन लड़कियों को पकड़ा गया, वे आपकी और मेरी बेटियों जैसी नहीं थीं। ये वे लड़कियां थीं, जो तहरीर चौक पर पुरुष प्रदर्शनाकरियों के साथ तंबुओं में डेरा डाले हुए थीं और तंबुओं में हमें मादक पदार्थ मिले थे।
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मिस्र, कौमार्य परीक्षण, वर्जिनिटी टेस्ट