छठ पर पत्नी का मायके जाना नहीं था पसंद तो घर के पास में ही बनवा दिया घाट. वैलेंटाइन डे की तस्वीर: प्रतीकात्मक
कटनी:
वैलेंटाइन डे पर प्रेमी जोड़े एक-दूसरे के चहरे पर खुशी देखने के लिए बाजार में अनोखे तोहफे ढूंढते हैं. कुछ लोग महंगे गिफ्ट से अपने प्यार को खुश करने की कोशिश करते हैं तो कोई गुलाब के साथ अपनी मीठी बातों से सामने वाले को इंप्रेस करते हैं. हम आपको मध्य प्रदेश के कटनी की एक ऐसी सच्ची कहानी बता रहे हैं, जिसमें पति ने पत्नी को ऐस गिफ्ट दिया जिसकी वजह से वह कभी भी उन्हें छोड़कर नहीं जाती गईं.
पत्नी के मायके जाने पर हो जाते परेशान
मूल रूप से बिहार के छपरा जिले के रहने वाले कल्पनाथ 1962 में अपनी पत्नी सुशीला सिंह के साथ मध्य प्रदेश के कटनी आ गए थे. कल्पनाथ की यहां के आर्डीनेंस फैक्ट्री में बतौर आर्मेचर वेंडर की नौकरी लगी थी. कल्पनाथ बताते हैं कि वे अपनी पत्नी से बेइंतहा मोहब्बत करते हैं. वे उन्हें एक दिन के लिए भी अपनी नजरों से दूर नहीं होने देना चाहते हैं.
कल्पनाथ की पत्नी छठ का व्रत करती थीं. कटनी में उनके घर के आसपास कोई तालाब या नदी नहीं थी इसलिए सुशील हर साल छठ पर छपरा अपने मायके चली जाती थीं. पत्नी जितने दिन मायके में रहती कल्पनाथ का कटनी में मन नहीं लगता. उन्हें हमेशा लगता कि वे जल्दी से पत्नी के पास चले जाएं, लेकिन नौकरी के चलते वे अपनी इच्छा दबा लेते.
इस तोहफे से पत्नी को मायके जाने से रोका
कल्पनाथ ने पत्नी को दूर जाने से रोकने के लिए सिमरार नदी पर घाट बनवा दिया. यह घाट पति-पत्नी के प्रेम के लिए पूरे जिले में प्रसिद्ध है. 75 वर्षीय कल्पनाथ ने बताया कि उस समय यहां घना जंगल था। रास्ता बनाने के लिए पहले साल तो बांस व जंगल की झाड़ियों को काटकर चलने लायक पगडंडी तैयार की। फिर सिमरार नदी पर पूजा करने के लिए पत्थर रखकर छोटा सा घाट बनाया। साल 2013 में पत्नी की मौत हो गई. अब कल्पनाथ पत्नी की याद में ज्यादातर समय यहीं बिताते हैं.
वैलेंटाइन डे पर कल्पनाथ कहते हैं कि प्यार करने के लिए कोई खास दिन नहीं होता है. इंसान जिससे भी प्यार करता है उसे किसी भी पल नहीं भुलता है. वे ये भी स्वीकारते हैं कि वैलेंटाइन डे पर उन्होंने भी एक-दो बार पत्नी को गिफ्ट दिया था.
पत्नी के मायके जाने पर हो जाते परेशान
मूल रूप से बिहार के छपरा जिले के रहने वाले कल्पनाथ 1962 में अपनी पत्नी सुशीला सिंह के साथ मध्य प्रदेश के कटनी आ गए थे. कल्पनाथ की यहां के आर्डीनेंस फैक्ट्री में बतौर आर्मेचर वेंडर की नौकरी लगी थी. कल्पनाथ बताते हैं कि वे अपनी पत्नी से बेइंतहा मोहब्बत करते हैं. वे उन्हें एक दिन के लिए भी अपनी नजरों से दूर नहीं होने देना चाहते हैं.
कल्पनाथ की पत्नी छठ का व्रत करती थीं. कटनी में उनके घर के आसपास कोई तालाब या नदी नहीं थी इसलिए सुशील हर साल छठ पर छपरा अपने मायके चली जाती थीं. पत्नी जितने दिन मायके में रहती कल्पनाथ का कटनी में मन नहीं लगता. उन्हें हमेशा लगता कि वे जल्दी से पत्नी के पास चले जाएं, लेकिन नौकरी के चलते वे अपनी इच्छा दबा लेते.
इस तोहफे से पत्नी को मायके जाने से रोका
कल्पनाथ ने पत्नी को दूर जाने से रोकने के लिए सिमरार नदी पर घाट बनवा दिया. यह घाट पति-पत्नी के प्रेम के लिए पूरे जिले में प्रसिद्ध है. 75 वर्षीय कल्पनाथ ने बताया कि उस समय यहां घना जंगल था। रास्ता बनाने के लिए पहले साल तो बांस व जंगल की झाड़ियों को काटकर चलने लायक पगडंडी तैयार की। फिर सिमरार नदी पर पूजा करने के लिए पत्थर रखकर छोटा सा घाट बनाया। साल 2013 में पत्नी की मौत हो गई. अब कल्पनाथ पत्नी की याद में ज्यादातर समय यहीं बिताते हैं.
वैलेंटाइन डे पर कल्पनाथ कहते हैं कि प्यार करने के लिए कोई खास दिन नहीं होता है. इंसान जिससे भी प्यार करता है उसे किसी भी पल नहीं भुलता है. वे ये भी स्वीकारते हैं कि वैलेंटाइन डे पर उन्होंने भी एक-दो बार पत्नी को गिफ्ट दिया था.
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