
- पहाड़ों पर बरसात के दौरान आने वाली बाढ़ सामान्य नहीं बल्कि अत्यंत भयानक और जानलेवा होती है.
- उत्तरकाशी के स्याना चट्टी में यमुना नदी के किनारे बाढ़ से होटल, दुकानें, पुलिस चौकी और स्कूल पानी में डूब गए.
- बाढ़ में बड़े-बड़े चट्टान और मलबा तेज गति से पहाड़ों से नीचे लुढ़कते हुए पुलों तक कंपन पैदा करते हैं.
पहाड़ों पर आपने अकसर बरसात के दिनों में बाढ़ सुनी होगी. आपको लगता होगा कि ये आम बाढ़ की तरह होती होगी. मगर ऐसा नहीं है. ये बहुत ज्यादा भयानक, डरावना और जानलेवा होती है. इस बाढ़ में पहाड़ों के बड़े-बड़े चट्टान ऊपर से नीचे लुढ़कते जाते हैं. पहाड़ों की मिट्टी भी ऊपर से नीचे पानी के साथ बहती है. ये इतना डरावना शोर करते हैं कि इस शोर को सुनकर ही जानवर तो जानवर इंसान भी कांप जाए.
स्यानाचट्टी में कुपड़ागाड़ से मलबा गिरने से बनी झील, होटल-दुकानें डूबे...देखें उत्तरकाशी से NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट#Uttarkashi | @RawatKishor3 pic.twitter.com/EcFv3yIM0L
— NDTV India (@ndtvindia) August 23, 2025
ये वीडियो उत्तरकाशी के स्याना चट्टी की है. यहां यमुना नदी बहती हैं. स्याना चट्टी के होटल, दुकान, पुलिस चौकी, स्कूल सब पानी में डूब गए. एनडीटीवी की टीम कुपडा गाड़ पहुंची तो देखा कि अब भी ऊंचाई से मलबा बेहद तेज गति से नीचे आ रहा है. पानी के साथ बड़े-बड़े बोल्डर और मलबा ऊपर पहाड़ से नीचे की तरफ बहता हुआ आ रहा है. बड़े-बड़े बोल्डर कागज की तरह बहते हुए दिख रहे हैं. इनकी कंपन करीबन 60 फीट ऊपर पुल पर महसूस की जा सकती है.
इस वीडियो को देखकर अंदाजा होगा कि क्यों बारिश के दिनों में पहाड़ों पर जाने से लोग मना करते हैं. वहां हादसे इंसान को बचने का मौका नहीं देते. पलक झपकते जिंदगी दूर चली जाती है. खतरा यूं तो हर जगह है या फिर कहीं नहीं. प्रकृति जब अपने रौद्र रूप में आती है तो फिर किसी को नहीं बख्शती. चाहे वो पेड़-पौधे हों, पत्थर हों या इंसान. सबको अपने में समेट लेती है. मानो अपनी गोद में लेकर दूर चली जाना चाहती हो. पहाड़ पर रहने वाले हर साल इस तरह की समस्याओं का सामना करते हैं.
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