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न नदियां, न झीलें… फिर भी UAE में पानी की कमी क्यों नहीं है?

दुनिया के सबसे आलीशान देशों में शामिल UAE में न नदियां, न झीलें है. फिर भी यह देश करोड़ों लोगों तक पानी पहुंचाता है, आखिर कैसे? यहां जानिए

न नदियां, न झीलें… फिर भी UAE में पानी की कमी क्यों नहीं है?
  • संयुक्त अरब अमीरात में प्राकृतिक नदियां और झीलें नहीं होने के कारण मीठे पानी की कमी एक गंभीर समस्या है
  • UAE की पानी की जरूरत का लगभग आधा हिस्सा समुद्री पानी को मीठा करने वाली डिसैलिनेशन तकनीक से पूरा होता है
  • भूमिगत जल स्रोत सीमित हैं और अत्यधिक दोहन के कारण तेजी से खत्म हो रहे हैं, जिससे पानी की समस्या बढ़ी है
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यूएई, दुनिया की सबसे आलीशान जगहों में से एक. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की पहचान ऊंची-ऊंची गगनचुंबी इमारतों, सुपरकार्स और लग्ज़री लाइफ से है. लेकिन इस चमक-धमक के पीछे एक और सच्चाई है. वो है इसकी आर्थिक मजबूती. प्रति व्यक्ति उच्च आय, मजबूत वित्तीय ढांचा और कम बेरोज़गारी इसे और भी स्पेशल जगह बना देते हैं. लेकिन इन तमाम चीजों के बाद भी यहां मीठे पानी की कमी है, लेकिन फिर भी यूएई कैसे लोगों के घरोंं तक पानी पहुंचा रहा है. विस्तार से जानिए

क्यों है पानी की इतनी किल्लत?

अरब के सूखे रेगिस्तान में बसे UAE में न तो स्थायी नदियां हैं और न ही किसी तरह की प्राकृतिक झीलें. ऊपर से एक और बड़ी समस्या ये है कि यहां बारिश बेहद कम होती है और तेज गर्मी तो हालत और खराब कर देती है. देश का प्राकृतिक जल स्रोत हजर पहाड़ियों से आने वाला बारिश का पानी है, जो मौसमी वादियों और भूमिगत दरारों में जमा होता है. पहले यही पानी जरूरतें पूरी करता था, लेकिन लगातार बढ़ता शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और भूजल के अत्यधिक दोहन ने हालात पूरी तरह से बदल दिए है. आज UAE की पानी की ज़रूरत का बड़ा हिस्सा डिसैलिनेशन यानी समुद्री पानी को मीठा बनाने की तकनीक से पूरा हो रहा है.

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UAE पानी कैसे जुटाता है?

1. डिसैलिनेशन: समुद्र से मीठे पानी तक- साल 2015 की स्टेट ऑफ एनर्जी रिपोर्ट के मुताबिक, UAE की 42% पानी की मांग डिसैलिनेशन से पूरी होती है. देश में करीब 70 बड़े प्लांट हैं, जो दुनिया के कुल डिसैलिनेटेड पानी का 14% उत्पादन करते हैं. यहां इस्तेमाल होने वाली प्रमुख तकनीकें हैं:

  • रिवर्स ऑस्मोसिस (RO)
  • मल्टीपल-इफेक्ट डिस्टिलेशन (MED)
  • मल्टी-स्टेज फ्लैश (MSF)

2008 से 2012 के बीच पानी की मांग में 35.8% की बढ़ोतरी हुई, जिससे डिसैलिनेशन की जरूरत और बढ़ गई. अब UAE सौर ऊर्जा जैसी रिन्यूएबल सोर्सेज से चलने वाले डिसैलिनेशन प्लांट्स पर काम कर रहा है.

2. भूजल: पुराना लेकिन सीमित सहारा- कुछ इलाकों में प्राचीन भूमिगत जलभंडार (Aquifers) से पानी निकाला जाता है, लेकिन अत्यधिक दोहन के कारण अब ये भी तेजी से खत्म हो रहे हैं, जिससे पानी की समस्या और बड़ी हो गई.

3. ट्रीटेड वेस्टवॉटर: रिसाइक्लिंग का स्मार्ट तरीका- ट्रीटेड पानी को सिंचाई, लैंडस्केपिंग और औद्योगिक कामों में इस्तेमाल किया जाता है. 

4.स्टोरेज और इंपोर्ट- देश ने बड़े पैमाने पर जलाशयों और इमरजेंसी स्टोरेज टैंकों में निवेश किया है. साथ ही, पड़ोसी देशों से पानी आयात करने की संभावना पर भी विचार हो रहा है.

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रेगिस्तान की छिपी लाइफलाइन

UAE में स्थायी नदियां नहीं हैं, लेकिन यहां मौसमी वादियां हैं—सूखी नदी की घाटियां, जो अचानक होने वाली बारिश में फिर से जीवंत हो उठती हैं. हजर पहाड़ियों पर गिरने वाला पानी इन वादियों में जमा होता है और भूमिगत जलभंडार को रिचार्ज करता है. वाडी वुरैया जैसी जगहें न सिर्फ पानी का जरिया हैं, बल्कि जैव विविधता और इको-टूरिज्म के लिए भी काफी अहम हैं. वाडी शौका अपने खूबसूरत ट्रेल्स के लिए मशहूर है.

वॉटर सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी 2036

UAE ने लंबी अवधि जल सुरक्षा के लिए महत्वाकांक्षी योजना बनाई है

  • कुल पानी की मांग में 21% कमी
  • वॉटर प्रोडक्टिविटी इंडेक्स को $110 प्रति घन मीटर तक बढ़ाना
  • वॉटर स्कार्सिटी इंडेक्स में तीन डिग्री की कमी
  • 95% ट्रीटेड वेस्टवॉटर का पुन: उपयोग
  • राष्ट्रीय जल भंडारण क्षमता का विस्तार

यह रणनीति नेशनल वॉटर एंड एनर्जी डिमांड मैनेजमेंट प्रोग्राम से जुड़ी हुई है, जो परिवहन, उद्योग और निर्माण क्षेत्रों में 40% दक्षता सुधार का लक्ष्य रखता है.

इनोवेशन बन रही है लाइफलाइन

प्राकृतिक जल स्रोतों के अभाव के बावजूद UAE ने जिस तरह जल संकट को अवसर में बदला है, वह दुनिया के लिए मिसाल है. जलवायु परिवर्तन और बढ़ती आबादी से जूझ रहे अन्य देशों के लिए यह मॉडल प्रेरणा है. रेगिस्तान में बसे इस देश ने साबित कर दिया है कि तकनीक से कमी को ताकत में बदला जा सकता है.

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