शरीर पर तिरंगा दिल में धोनी, कौन हैं रामबाबू जो परिवार से ज़्यादा क्रिकेट से प्यार करते हैं?

रामबाबू से बात करते हुए यह स्पष्ट होता है कि क्रिकेट देखने के अलावा उनकी जिंदगी के लिए कोई अन्य योजना नहीं है. भारतीय टीम जहां भी जाती है वह वहां का दौरा करते हैं. तो क्या उनके घर के प्रति कोई जिम्मेदारियां नहीं हैं. इस सवाल पर रामबाबू ने कहा,‘‘मेरी भी कुछ परेशानियां है लेकिन मैं क्रिकेट को समर्पित हूं. यह मेरी जिंदगी है.’’

शरीर पर तिरंगा दिल में धोनी, कौन हैं रामबाबू जो परिवार से ज़्यादा क्रिकेट से प्यार करते हैं?

‘‘मेरे मां-बाप ने मेरी शादी करवाई थी ये सोच के कि ये क्रिकेट का भूत छूटेगा, पर मैंने बीवी को साफ बता दिया, पहला प्यार क्रिकेट है.''यह कहना है भारत के क्रिकेट प्रशंसक रामबाबू का जो महेंद्र धोनी के धुर प्रशंसक हैं. जहां भी भारतीय टीम खेल रही होती है उनकी उपस्थिति स्पष्ट तौर पर दिखती है .उनका शरीर तिरंगे के रंग से रंगा होता है और उनके शरीर पर धोनी और सात नंबर लिखा होता है. चंडीगढ़ का रहने वाला यह प्रशंसक 39 वर्ष का है तथा अपनी अलग पहचान बनाने के बावजूद वह किसी तरह की कमाई नहीं करता है. वह अपनी यात्रा, ठहरना और अन्य जरूरतों के लिए लोगों की दया पर निर्भर है.

रामबाबू से बात करते हुए यह स्पष्ट होता है कि क्रिकेट देखने के अलावा उनकी जिंदगी के लिए कोई अन्य योजना नहीं है. भारतीय टीम जहां भी जाती है वह वहां का दौरा करते हैं. तो क्या उनके घर के प्रति कोई जिम्मेदारियां नहीं हैं. इस सवाल पर रामबाबू ने कहा,‘‘मेरी भी कुछ परेशानियां है लेकिन मैं क्रिकेट को समर्पित हूं. यह मेरी जिंदगी है.''

रामबाबू का एक बेटा है जो सातवीं में पढ़ता है. उनकी एक बेटी भी है जो अपने भाई से एक साल छोटी है.रामबाबू से जब पूछा गया कि क्या उन्हें बुरा नहीं लगता कि पिता होने के कारण वहां अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे रहे हैं, उन्होंने कहा,‘‘मुझे कभी बुरा लगता है लेकिन मैं क्या कर सकता हूं. मैं अपनी पत्नी का आभारी हूं जो नौकरी करके बच्चों को देख रही है. जब भी संभव होता है तब मैं योगदान देता हूं.''

तो क्या खिलाड़ी कोई सलाह नहीं देते हैं, रामबाबू ने इस सवाल पर कहा,‘‘नहीं मुझे कभी भी खिलाड़ियों से इतना दोस्ताना संबंध बनाने का मौका नहीं मिला है. टीम से मुझे केवल प्रत्येक मैच के लिए टिकट मिल जाता है. मैंने खिलाड़ियों से कभी किसी तरह की मांग नहीं की यहां तक की पैसा भी नहीं मांगा.''

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उन्होंने कहा,‘‘मेरे ऐसे दोस्त और शुभचिंतक हैं, जो मुझे विभिन्न शहरों या उनके होटल के कमरों में रहने देते हैं. मैं अमूमन रेलगाड़ी के स्लीपर क्लास में यात्रा करता हूं. कभी लोग मुझे विमान से यात्रा करने के लिए टिकट भी दे देते हैं.''



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)