वड़ोदरा:
वायुसेना में दो पायलटों- पिता एवं पुत्र ने एएन-32 विमान उड़ाकर परिवार के लिए एक इतिहास रचा जिसमें लगातार तीन पीढ़ियां वायुसेना में हैं।
गुजरात के वड़ोदरा में वायुसेना स्टेशन पर एयर ऑफिसर कमांडिंग एयर कमोडोर आरएस सोढ़ी और उनके बेटे फ्लाइट लेफ्टिनेंट अंगद सोढ़ी ने यहां से विमान उड़ाया। अंगद फिलहाल आगरा वायुसेना स्टेशन पर स्क्वाड्रन 12 में तैनात हैं।
आरएस सोढ़ी चंडीगढ़ के रहने वाले हैं और उनके परिवार की तीन पीढ़ियां वायुसेना में रह चुकी हैं। अंगद के दादा 85 वर्षीय भूपेंदर सिंह सोढ़ी सेवानिवृत विग कमांडर हैं। वह नवंबर 1949 में प्रशासन एवं कानूनी शाखा में जुड़े थे।
भूपेंदर सिंह के दोनों बेटे पिता के पदचह्नों पर चलते हुए वायुसेना में शामिल हुए। भूपेंदर सिंह के बड़े बेटे एयर कोमोडोर पीएस सोढ़ी मेडिकल अधिकारी के रूप में वायुसेना में शामिल हुए और वह जोरहट के 5 वायुसेना अस्पताल में कमांडिंग हैं। छोटे बेटे आरएस सोढ़ी को जून, 1979 में लड़ाकू पायलट के रूप में वायुसेना में कमीशन मिला था।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट अंगद जून, 2010 में बतौर पायलट वायुसेना में शामिल हुए।
भूपेंदर सोढ़ी ने कहा, ‘मैं अपने बेटे और पोते के वायुसेना में शामिल होने से गर्व महसूस कर रहा हूं।’
गुजरात के वड़ोदरा में वायुसेना स्टेशन पर एयर ऑफिसर कमांडिंग एयर कमोडोर आरएस सोढ़ी और उनके बेटे फ्लाइट लेफ्टिनेंट अंगद सोढ़ी ने यहां से विमान उड़ाया। अंगद फिलहाल आगरा वायुसेना स्टेशन पर स्क्वाड्रन 12 में तैनात हैं।
आरएस सोढ़ी चंडीगढ़ के रहने वाले हैं और उनके परिवार की तीन पीढ़ियां वायुसेना में रह चुकी हैं। अंगद के दादा 85 वर्षीय भूपेंदर सिंह सोढ़ी सेवानिवृत विग कमांडर हैं। वह नवंबर 1949 में प्रशासन एवं कानूनी शाखा में जुड़े थे।
भूपेंदर सिंह के दोनों बेटे पिता के पदचह्नों पर चलते हुए वायुसेना में शामिल हुए। भूपेंदर सिंह के बड़े बेटे एयर कोमोडोर पीएस सोढ़ी मेडिकल अधिकारी के रूप में वायुसेना में शामिल हुए और वह जोरहट के 5 वायुसेना अस्पताल में कमांडिंग हैं। छोटे बेटे आरएस सोढ़ी को जून, 1979 में लड़ाकू पायलट के रूप में वायुसेना में कमीशन मिला था।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट अंगद जून, 2010 में बतौर पायलट वायुसेना में शामिल हुए।
भूपेंदर सोढ़ी ने कहा, ‘मैं अपने बेटे और पोते के वायुसेना में शामिल होने से गर्व महसूस कर रहा हूं।’