मुंबई:
पेट्रोल-डीज़ल के लगातार बढ़ते दामों से त्रस्त आम आदमी को राहत देने वाली एक ख़बर मुंबई से आई है... यहां के छह छात्रों ने ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिसे सुनकर एकबारगी यकीन ही नहीं होता... मुंबई के सोमैया इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाले इन बच्चों ने एक नई कार 'जुगाड़' बनाई है, जो एक लिटर ईंधन में 300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है...
टाटा की छोटी कार 'नैनो' जहां एक लिटर में 20 किलोमीटर के आसपास चल पाती है, और सबसे ज़्यादा माइलेज का दावा करने वाली हॉन्डा की 'अमेज़' कार भी 26 किलोमीटर प्रति लिटर की माइलेज का ही वादा करती है, वहीं कुल 60 किलोग्राम वज़न वाली इन बच्चों की गाड़ी 'जुगाड़' पेट्रोल की लगभग सारी समस्याओं को हल कर सकती है...
छह 'कार-निर्माताओं' में से एक कुणाल जैन ने बताया, "हमें अपने कॉलेज की लाइब्रेरी में 'जुगाड़ इनोवेशन' शीर्षक वाली एक किताब मिली थी, और इस कार को बनाने की प्रेरणा हमें वहीं से मिली, इसलिए हमारे मुताबिक इस कार का नाम 'जुगाड़' रखना ही उचित था..."
वैसे जब पहली बार हमारे संवाददाता ने 'जुगाड़' का माइलेज सुना था तो यकीन नहीं कर पाए थे, सो, उन्होंने खुद तसदीक की, और 'जुगाड़' को चलाकर भी देखा। अपने नाम को पूरी तरह सार्थक करने वाली इस गाड़ी 'जुगाड़' का इंजन घास काटने वाली मशीन से लिया गया है, और उस पर फाइबर ग्लास की बॉडी में तिपहिया साइकिल के पहिये जोड़कर बनाया गया है... 'जुगाड़' को किसी रेसिंग कार की तरह पैर पसारकर चलाना पड़ता है...
'कार-निर्माताओं' की टीम के अन्य सदस्य टोनी थॉमस के मुताबिक, "हमने इस कार को बनाने में रोज़ाना कॉलेज के बाद आठ-नौ घंटे खर्च किए, और कभी-कभी कॉलेज से बंक भी मारना पड़ा... इसके अलावा हमने कार बनाने के बारे में बेसिक आइडिया हासिल करने के लिए कार मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट का दौरा भी किया..."
इन बच्चों ने 'जुगाड़' को बनाने में चार लाख रुपये खर्च किए, जो कॉरपोरेट फंडिंग से इन्हें वापस दे दिए गए हैं... इसके अलावा इनके 'जुगाड़' को अब अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिलने वाली है, क्योंकि जुलाई में 'जुगाड़' को मलेशिया में होने वाली 'शेल ईको-मैराथन' में शामिल किया जाएगा, जहां गाड़ियों को उनकी माइलेज से ही आंका जाएगा...
टाटा की छोटी कार 'नैनो' जहां एक लिटर में 20 किलोमीटर के आसपास चल पाती है, और सबसे ज़्यादा माइलेज का दावा करने वाली हॉन्डा की 'अमेज़' कार भी 26 किलोमीटर प्रति लिटर की माइलेज का ही वादा करती है, वहीं कुल 60 किलोग्राम वज़न वाली इन बच्चों की गाड़ी 'जुगाड़' पेट्रोल की लगभग सारी समस्याओं को हल कर सकती है...
छह 'कार-निर्माताओं' में से एक कुणाल जैन ने बताया, "हमें अपने कॉलेज की लाइब्रेरी में 'जुगाड़ इनोवेशन' शीर्षक वाली एक किताब मिली थी, और इस कार को बनाने की प्रेरणा हमें वहीं से मिली, इसलिए हमारे मुताबिक इस कार का नाम 'जुगाड़' रखना ही उचित था..."
-----------------------------------------------------------------------------
वीडियो रिपोर्ट : ग़ज़ब 'जुगाड़', एक लिटर में चले 300 किमी...
-----------------------------------------------------------------------------
वीडियो रिपोर्ट : ग़ज़ब 'जुगाड़', एक लिटर में चले 300 किमी...
-----------------------------------------------------------------------------
वैसे जब पहली बार हमारे संवाददाता ने 'जुगाड़' का माइलेज सुना था तो यकीन नहीं कर पाए थे, सो, उन्होंने खुद तसदीक की, और 'जुगाड़' को चलाकर भी देखा। अपने नाम को पूरी तरह सार्थक करने वाली इस गाड़ी 'जुगाड़' का इंजन घास काटने वाली मशीन से लिया गया है, और उस पर फाइबर ग्लास की बॉडी में तिपहिया साइकिल के पहिये जोड़कर बनाया गया है... 'जुगाड़' को किसी रेसिंग कार की तरह पैर पसारकर चलाना पड़ता है...
'कार-निर्माताओं' की टीम के अन्य सदस्य टोनी थॉमस के मुताबिक, "हमने इस कार को बनाने में रोज़ाना कॉलेज के बाद आठ-नौ घंटे खर्च किए, और कभी-कभी कॉलेज से बंक भी मारना पड़ा... इसके अलावा हमने कार बनाने के बारे में बेसिक आइडिया हासिल करने के लिए कार मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट का दौरा भी किया..."
इन बच्चों ने 'जुगाड़' को बनाने में चार लाख रुपये खर्च किए, जो कॉरपोरेट फंडिंग से इन्हें वापस दे दिए गए हैं... इसके अलावा इनके 'जुगाड़' को अब अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिलने वाली है, क्योंकि जुलाई में 'जुगाड़' को मलेशिया में होने वाली 'शेल ईको-मैराथन' में शामिल किया जाएगा, जहां गाड़ियों को उनकी माइलेज से ही आंका जाएगा...
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं