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This Article is From Jan 16, 2024

बिना चार्ज किए 50 सालों तक काम करेगी ये बैटरी, एक सिक्के से भी छोटा होगा साइज, इस कंपनी ने बनाई सबसे पावरफुल Battery

कंपनी ने कहा कि यह परमाणु ऊर्जा के लघुकरण को साकार करने वाली दुनिया की पहली बैटरी है.

बिना चार्ज किए 50 सालों तक काम करेगी ये बैटरी, एक सिक्के से भी छोटा होगा साइज, इस कंपनी ने बनाई सबसे पावरफुल Battery
बड़े कमाल की चीन की ये नई बैटरी, 120 डिग्री के टेम्प्रेचर पर करेगी काम

चीन (China) में एक स्टार्ट-अप ने एक नई बैटरी बनाई है जिसके बारे में उसका दावा है कि यह बिना चार्जिंग या रखरखाव के 50  सालों तक बिजली पैदा कर सकती है. द इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह बीजिंग स्थित बीटावोल्ट द्वारा विकसित एक परमाणु बैटरी (Nuclear Battery) है. "परमाणु" शब्द पढ़ने के बाद किसी विशाल आकार की कल्पना न करें. आउटलेट ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा कि बीटावोल्ट उस मॉड्यूल में 63 आइसोटोप को निचोड़ने में कामयाब रहा है जो एक सिक्के से भी छोटा है. कंपनी ने कहा कि यह परमाणु ऊर्जा के लघुकरण को साकार करने वाली दुनिया की पहली बैटरी है.

नेक्स्ट जेनरेशन की बैटरी का पहले से ही परीक्षण किया जा रहा है और फोन और ड्रोन जैसे कमर्शियल एप्लीकेशन्स के लिए इसका बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन किया जाएगा.

कंपनी ने एक प्रेस रिलीज में कहा, "बीटावोल्ट परमाणु ऊर्जा बैटरियां एयरोस्पेस, एआई उपकरण, चिकित्सा उपकरण, माइक्रोप्रोसेसर, उन्नत सेंसर, छोटे ड्रोन और माइक्रो-रोबोट जैसे कई परिदृश्यों में लंबे समय तक चलने वाली बिजली आपूर्ति की जरूरतों को पूरा कर सकती हैं."

इसमें आगे कहा गया, "यह नया एनर्जी इनोवेशन चीन को एआई तकनीकी क्रांति के नए दौर में अग्रणी बढ़त हासिल करने में मदद करेगा."

बैटरी के आयाम

इसका माप 15 x 15 x 5 मिलीमीटर है और यह फ्यूचरिज्म के अनुसार, परमाणु आइसोटोप और हीरे के सेमिकंडक्टर्स की वेफ़र जैसी पतली परतों से बना है.

परमाणु बैटरी वर्तमान में 3 वोल्ट पर 100 माइक्रोवाट बिजली उत्पन्न करती है. हालांकि, लक्ष्य 2025 तक 1-वाट बिजली उत्पादन तक पहुंचने का है.

बीटावोल्ट ने कहा कि विकिरण से मानव शरीर को कोई खतरा नहीं है, जिससे यह पेसमेकर जैसे चिकित्सा उपकरणों में प्रयोग करने योग्य है.

बैटरी कैसे काम करती है?

बैटरी में उपयोग की जाने वाली तकनीक क्षयकारी आइसोटोप से ऊर्जा प्राप्त करती है, एक अवधारणा जिसे पहली बार 20 वीं शताब्दी में खोजा गया था. फिर यह इस ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करता है.

चीन 2021-2025 तक अपनी 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत परमाणु बैटरियों को छोटा बनाने की दिशा में काम कर रहा है. बैटरी में एक स्तरित डिज़ाइन है, जो इसे अचानक बल के कारण आग लगने या विस्फोट होने से रोकेगा. बीटावोल्ट ने यह भी दावा किया कि बैटरी -60 डिग्री सेल्सियस से लेकर 120 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम करने में सक्षम है.

 "परमाणु ऊर्जा बैटरियां पर्यावरण के अनुकूल हैं. क्षय अवधि के बाद, 63 आइसोटोप तांबे के एक स्थिर आइसोटोप में बदल जाते हैं, जो नॉन-रेडियोएक्टिव है और पर्यावरण के लिए कोई खतरा या प्रदूषण पैदा नहीं करता है.

कंपनी द्वारा परीक्षण पूरा करने और सभी आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद बैटरी का बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन शुरू होने की उम्मीद है.

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