कुछ दिन पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने दक्षिणी राज्य के सबसे पुराने अस्पताल तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज (टीएमसी) के 70वीं वर्षगांठ समारोह में शिरकत की थी, जिसका 1951 में औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया था. तीन साल बाद इसी परिसर में टीएमसी के प्रतिष्ठित राजकीय चिकित्सा कॉलेज अस्पताल (एमसीएच) की स्थापना की गई. टीएमसी और एमसीएफ न सिर्फ अपनी तरह के पहले चिकित्सकीय प्रतिष्ठान थे, बल्कि इनका ऐतिहासिक महत्व इस तथ्य को लेकर भी है कि सात दशक पहले वहां इलाज कराने वाले पहले मरीज भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे.
दस्तावेजों के अनुसार, नेहरू ने ही क्रमशः 1951 और 1954 में टीएमसी और एमसीएच, दोनों का उद्घाटन किया था. एक पुरानी किताब के मुताबिक, फरवरी 1954 में राजकीय चिकित्सा कॉलेज अस्पताल का उद्घाटन करने वाले नेहरू की उगंली इमारत में लगी एक धातु की ग्रिल में गलती से फंसने के कारण चोटिल हो गई थी, जिसके बाद प्रख्यात सर्जन स्वर्गीय डॉ. आर केसवन नायर के मार्गदर्शन में उनका तत्काल इलाज किया गया. नायर मेडिकल कॉलेज के संस्थापक अधीक्षक भी थे.
मलयालम भाषा में लिखी किताब के अनुसार, राजकीय चिकित्सा कॉलेज अस्पताल का उद्घाटन करने पहुंचे जवाहरलाल नेहरू की उंगली धातु की एक ग्रिल में फंसने के कारण चोटिल हो गई थी. इस तरह, नेहरू अस्पताल में इलाज कराने वाले पहले मरीज, जबकि डॉ. केशवन नायर अस्पताल में किसी मरीज का इलाज करने वाले पहले डॉक्टर बने.
'डॉ. केशवन नायर : वैद्यसस्त्रथिले इतिहासम' (दि लेजेंड ऑफ मेडिकल साइंस) शीर्षक से छपी किताब दिवंगत चिकित्सक के संस्मरणों का संग्रह है. इसमें एक तस्वीर भी प्रकाशित की गई है, जिसमें डॉ. केशवन एमसीएच के उद्घाटन समारोह में नेहरू के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. तत्कालीन त्रावणकोर के राजा श्री चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा, जिन्होंने मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए चार लाख रुपये का दान दिया था, तस्वीर में उन्हें भी तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ खड़े देखा जा सकता है.
किताब में वयोवृद्ध न्यूरोलॉजिस्ट और चिकित्सा इतिहासकार डॉ. के राजशेखरन नायर के हवाले से कहा गया है कि उद्घाटन के दिन नेहरू की एक झलक पाने के लिए उल्लूर में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए थे. डॉ. केशवन के शिष्यों में से एक राजशेखरन के जहन में आज भी उस ऐतिहासिक दिन की यादें ताजा हैं.
उन्होंने मीडिया को बताया कि, 'डॉ. केशवन उन गिने-चुने व्यक्तियों में से एक थे, जिन्होंने यहां पहले मेडिकल कॉलेज की स्थापना के सपने को हकीकत में बदलने के लिए कड़ी मेहनत की थी. उनके शब्दों के अनुसार, नेहरू को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग अस्पताल परिसर में उमड़ पड़े थे.'
राजशेखरन के अनुसार, नेहरू ने स्थानीय लोगों का अभिवादन स्वीकार किया और उनसे हाथ भी मिलाया. उन्होंने कहा कि नेहरू उस वक्त प्रधानमंत्री थे, लेकिन तब सुरक्षा व्यवस्था आज जैसी नहीं थी और संभव है कि भीड़ का अभिवादन स्वीकार करने के दौरान उनकी उंगली में चोट लग गई हो. टीएमसी की 70वीं वर्षगांठ समारोह का आयोजन 26 अगस्त को किया गया था.
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