प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अध्यापन पेशा नहीं, बल्कि 'जीवन धर्म' है और उम्मीद जताई कि अध्यापकों के प्रयास भारत के भविष्य का निर्माण करने को बढ़ावा देंगे।
प्रधानमंत्री ने 'शिक्षक दिवस' के अवसर पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा पुरस्कृत किए जाने वाले करीब 350 अध्यापकों से अपने आवास पर अनौपचारिक बातचीत में कहा कि गुजरात का पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर उनकी दो इच्छाएं थीं, बचपन के दोस्तों और उन सभी अध्यापकों से मिलना, जिन्होंने उन्हें पढ़ाया है। उन्होंने कहा, मेरी ये दोनों इच्छाएं पूरी हो गईं...किसी भी छात्र के जीवन में अध्यापक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
मजाकिया अंदाज में उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पुरस्कृत अध्यापक 'दिल्ली की हवा' से प्रभावित नहीं होंगे। पूर्व में प्रधानमंत्री अपने को दिल्ली का 'बाहरी' आदमी बता चुके हैं। मोदी ने कहा, अगर समाज को प्रगति करनी है, तो अध्यापकों को हमेशा समय से दो कदम आगे रहना होगा। उन्हें दुनिया भर में हो रहे परिवर्तनों की समझ रखनी होगी और उसी के अनुरूप नई पीढ़ी को तैयार करना होगा।
उन्होंने कहा कि अध्यापक कभी भी रिटायर नहीं होता है और हमेशा नई पीढ़ी को ज्ञान देने का प्रयास जारी रखता है। प्रधानमंत्री कार्यालय की विज्ञप्ति के अनुसार इस अनौपचारिक बातचीत में अध्यापकों ने पढ़ाई के विभिन्न आयामों पर अपने विचारों को खुलकर रखा।
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