बहुचर्चित घटनाक्रम में पाकिस्तान से करीब चार साल पहले भारत लौटी मूक-बधिर युवती गीता ने इशारों में बुधवार को कहा कि पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के गुजर जाने से उसने अपनी अभिभावक को खो दिया है, क्योंकि उसकी खैरियत के बारे में वह "एक मां की तरह" हमेशा चिंता करती थीं. गलती से सीमा लांघने के कारण गीता करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गयी थी. स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण ही वह 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौट सकी थी.
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इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में दिव्यांगों के लिये चलायी जा रही गैर सरकारी संस्था "मूक-बधिर संगठन" के आवासीय परिसर भेज दिया गया था. तब से वह मध्यप्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और नि:शक्त कल्याण विभाग की देख-रेख में इसी परिसर में रहकर पढ़ाई कर रही है. परिसर के छात्रावास के वॉर्डन संदीप पंडित ने बताया, 'स्वराज के निधन की खबर गीता को बुधवार सुबह दी गयी. वह तब से बेहद दु:खी है और रोये जा रही है. हम उसे ढांढ़स बंधा रहे हैं.'
#WATCH Indore: Geeta, the Indian girl who was brought back from Pakistan in 2015 when late Sushma Swaraj was External Affairs Minister, pays tribute. #MadhyaPradesh pic.twitter.com/OtksbYMpff
— ANI (@ANI) August 7, 2019
पंडित के मुताबिक गीता ने इशारों में कहा कि स्वराज के निधन के बाद उसे ऐसा लग रहा है कि उसने अपनी अभिभावक को खो दिया है,क्योंकि वह उसके कुशल-क्षेम के बारे में एक मां की तरह हमेशा चिंता करती थीं. छात्रावास के वॉर्डन ने बताया, "गमजदा गीता ने इशारों की जुबान में कहा कि उसकी छोटी-बड़ी समस्याओं के बारे में स्वराज उससे सीधे बात करती थीं. वर्ष 2015 में गीता की स्वदेश वापसी के बाद उसकी दिल्ली और इंदौर में स्वराज से कई बार मुलाकात भी हो चुकी है."
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पंडित ने बताया, "स्वराज वीडियो कॉलिंग के जरिये भी गीता से समय-समय पर मुखातिब होती थीं और उसकी पढ़ाई की प्रगति के बारे में पूछती थीं." अधिकारियों के मुताबिक अब तक देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं, लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर लड़की पर दावा साबित नहीं हो सका है. उसके माता-पिता की खोज का अभियान जारी है.
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गीता से स्वराज का गहरा भावनात्मक लगाव था। तत्कालीन विदेश मंत्री ने गत 20 नवंबर को इंदौर में मीडिया से बातचीत के दौरान गीता को "हिंदुस्तान की बेटी" बताते हुए कहा था, "भारत में गीता के परिवारवाले मिलें या न मिलें, वह दोबारा पाकिस्तान कभी नहीं भेजी जायेगी. उसकी देखभाल भारत सरकार ही करेगी."
गीता को करीब 20 साल पहले पाकिस्तान रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. मूक-बधिर लड़की की उम्र उस समय कथित तौर पर सात या आठ साल की थी. भारत वापसी से पहले वह कराची के परमार्थ संगठन "ईदी फाउंडेशन" के आश्रय स्थल में रही थी.
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