यह ख़बर 20 जनवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

कोर्टरूम में रॉ की पूर्व अधिकारी ने उतारे कपड़े

खास बातें

  • दो साल पहले प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने खुदकुशी की कोशिश कर चुकी रॉ की पूर्व अधिकारी निशा प्रिया भाटिया ने हाईकोर्ट के एक कोर्टरूम में अपने कपड़े उतारकर सबको हैरत में डाल दिया।
New Delhi:

करीब दो साल पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सामने खुदकुशी की कोशिश कर चुकी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की पूर्व अधिकारी निशा प्रिया भाटिया ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट के एक कोर्टरूम में अपने कपड़े उतारकर सबको हैरत में डाल दिया। निशा प्रिया भाटिया की इस हरकत को देखकर न्यायाधीश ने आनन-फानन में उनकी मानसिक हालत की जांच कराने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति अजीत भरिहोक ने भाटिया की मानसिक जांच कराने का आदेश देते हुए कहा, खुली अदालत में खुद को निर्वस्त्र करने में याचिकाकर्ता (निशा प्रिया भाटिया) का बर्ताव बहुत खेदजनक है और इससे ऐसा लगता है कि वह मानसिक रूप से ठीक नहीं हैं। न्यायाधीश ने कहा, यह कोई अकेली ऐसी घटना नहीं है, बल्कि दोपहर के भोजन के बाद वाले सत्र में भी उन्होंने ऐसा ही करने की कोशिश की थी, जिसकी उम्मीद किसी सामान्य व्यक्ति से नहीं है। दोपहर से पहले अपने मामले की सुनवाई स्थगित करने के बाद रॉ की पूर्व अधिकारी ने जब अपना जैकेट उतारा और खुद को निर्वस्त्र कर लिया, तो अदालत ने उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया था। अदालत ने संबंधित थाने के एसएचओ से कहा कि उन्हें जांच के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर्स एंड एलाइड साइंसेज (आईएचबीएएस) ले जाएं। भाटिया ने कोर्टरूम में उस वक्त अजीबोगरीब हरकत की, जब न्यायाधीश ने उनकी याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। भाटिया की याचिका अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अजय पांडेय और मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट प्रीतम सिंह के खिलाफ थी। कभी रॉ की प्रशिक्षण शाखा की प्रमुख रहीं भाटिया ने निचली अदालत के न्यायाधीशों के खिलाफ यह आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर की थी कि उन्होंने उनके बॉस और एजेंसी के पूर्व सचिव अशोक चतुर्वेदी की मदद करने की कोशिश की थी। भाटिया ने चतुर्वेदी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला अधिकारी का आरोप है कि रॉ के पूर्व प्रमुख चतुर्वेदी उन्हें बेवक्त अपने कार्यालय में बुलाया करते थे और अशिष्ट टिप्पणियां करते थे। हालांकि, चतुर्वेदी ने इन आरोपों से इनकार किया है। दिन में एक महिला वकील भाटिया के बचाव के लिए आईं और इस आधार पर उन्हें रिहा करने की वकालत की कि उन्हें स्कूल से अपनी बेटी को लेने जाना है। इसके बाद न्यायमूर्ति भरिहोक ने मामले की सुनवाई अपने कक्ष में करने का फैसला किया और कहा, मैं उन्हें जेल भेज दूंगा। एसीएमएम की अदालत में भी उन्होंने काफी समस्याएं खड़ी की हैं, मेरा मानना है कि वह मानसिक रूप से बीमार महिला हैं। कैमरे की जद में हो रही कार्यवाही के दौरान भी जब भाटिया ने अपना कारनामा दोहराया, तो अदालत ने जांच के लिए उन्हें मानसिक अस्पताल भेजे जाने का फैसला किया। न्यायाधीश ने कहा कि 28 फरवरी को मामले की सुनवाई की तारीख से पहले उनकी मानसिक स्थिति की रिपोर्ट अदालत को सौंपी जाए।


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