नई दिल्ली:
संसद को ब्रिटिश शासनकाल में बने भव्य भवन से दूसरी जगह नहीं ले जाया जाएगा बल्कि वहां भीड़भाड़ में कमी लाई जाएगी और ऐतिहासिक ढांचे का सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। सूत्रों ने यह जानकारी शुक्रवार को दी।
सूत्रों के अनुसार, संसद को 85 वर्ष पुराने भवन से कहीं और ले जाने के प्रस्ताव पर यहां गुरुवार को संसद की धरोहर समिति की बैठक हुई थी जिसमें अधिकांश सांसद संसद की जगह बदले जाने के पक्ष में नहीं थे।
संसद भवन की देखरेख केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के जिम्मे है। इस भवन को पहुंचा नुकसान विभाग की चिंता की वजह है।
इस भवन का डिजाइन सर एडविन लुटियंस और सर हरबर्ट बेकर ने बनाया था। इन्होंने ही नई दिल्ली की ज्यादातर इमारतों का निर्माण कराया था। इन्होंने भव्य संसद भवन का निर्माण 1921 में शुरू कराया था जो आजादी से दो दशक पहले 1927 में बनकर तैयार हुआ था।
ज्ञात हो कि संसद की धरोहर समिति का गठन 2009 किया गया था। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार इस समिति की जिसकी अध्यक्ष हैं।
सूत्रों ने बताया कि संसद को किसी दूसरे भवन में ले जाने के प्रस्ताव पर सांसदों में सर्वसम्मति नहीं बन पाई। आखिरकार तय यह हुआ कि भीड़भाड़ घटाने के उपाय और ढांचे का सुदृढ़ीकरण कर इसे नया जीवन दिया जाए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जहां संसद की जगह बदलने का विरोध किया, वहीं केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने सुझाव दिया कि भवन हुए तमाम अतिक्रमण को हटाया जाए।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमल नाथ ने बंसल के सुझाव का समर्थन किया।
दर्शकों की संख्या नियमित रूप से बढ़ने के कारण भी इसकी जगह बदलने का प्रस्ताव दिया गया था। यहां सांसदों और संसद भवन के कर्मचारियों के लिए जगह की तंगी होने की शिकायते मिली हैं।
एक कारण और भी है कि इस समय लोकसभा में सदस्यों की संख्या 545 और राज्यसभा में 245 है। सांसदों की मौजूदा संख्या 1971 की जनगणना के आधार पर निर्धारित हुई थी। वर्ष 2026 में इसमें संशोधन किया जाना है।
सूत्रों के अनुसार, संसद को 85 वर्ष पुराने भवन से कहीं और ले जाने के प्रस्ताव पर यहां गुरुवार को संसद की धरोहर समिति की बैठक हुई थी जिसमें अधिकांश सांसद संसद की जगह बदले जाने के पक्ष में नहीं थे।
संसद भवन की देखरेख केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के जिम्मे है। इस भवन को पहुंचा नुकसान विभाग की चिंता की वजह है।
इस भवन का डिजाइन सर एडविन लुटियंस और सर हरबर्ट बेकर ने बनाया था। इन्होंने ही नई दिल्ली की ज्यादातर इमारतों का निर्माण कराया था। इन्होंने भव्य संसद भवन का निर्माण 1921 में शुरू कराया था जो आजादी से दो दशक पहले 1927 में बनकर तैयार हुआ था।
ज्ञात हो कि संसद की धरोहर समिति का गठन 2009 किया गया था। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार इस समिति की जिसकी अध्यक्ष हैं।
सूत्रों ने बताया कि संसद को किसी दूसरे भवन में ले जाने के प्रस्ताव पर सांसदों में सर्वसम्मति नहीं बन पाई। आखिरकार तय यह हुआ कि भीड़भाड़ घटाने के उपाय और ढांचे का सुदृढ़ीकरण कर इसे नया जीवन दिया जाए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जहां संसद की जगह बदलने का विरोध किया, वहीं केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने सुझाव दिया कि भवन हुए तमाम अतिक्रमण को हटाया जाए।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमल नाथ ने बंसल के सुझाव का समर्थन किया।
दर्शकों की संख्या नियमित रूप से बढ़ने के कारण भी इसकी जगह बदलने का प्रस्ताव दिया गया था। यहां सांसदों और संसद भवन के कर्मचारियों के लिए जगह की तंगी होने की शिकायते मिली हैं।
एक कारण और भी है कि इस समय लोकसभा में सदस्यों की संख्या 545 और राज्यसभा में 245 है। सांसदों की मौजूदा संख्या 1971 की जनगणना के आधार पर निर्धारित हुई थी। वर्ष 2026 में इसमें संशोधन किया जाना है।
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