नई दिल्ली:
मंगल ग्रह पर पहुंचने के भारत के पहले अभियान 'मंगलयान' की पहली वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बेंगलुरू में बेहद मनमोहक तस्वीरों से सजी 'मार्स एटलस' जारी की है। ('मार्स एटलस' डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें...)
इस एक साल के दौरान मार्स ऑरबिटर मिशन (MOM) ने लाल ग्रह की बेहद शानदार तस्वीरों के अलावा मंगल की पूरी परिधि तथा सौरमंडल के सबसे ऊंचे ज्वालामुखियों व सबसे गहरी घाटियों की तस्वीरें भी भेजी हैं। मंगलयान पर लगे मार्स कलर कैमरा के जरिये खींची गईं लगभग 350 तस्वीरों में से 100 से भी अधिक इस वैज्ञानिक एटलस में शुमार की गई हैं।
मंगलयान द्वारा धरती पर भेजी गई इन तस्वीरों तथा डाटा से मंगल ग्रह के रहस्यों को सुलझाने में काफी मदद मिलेगी।
इसरो के अनुसार, "अब सूखे हो चुके तथा धूलभरे इस ग्रह के बारे में भेजे गए डाटा के विश्लेषण से मिले संकेतों से मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना के आसार बढ़ गए हैं..." माना जा रहा है कि इस बयान का इशारा मंगल ग्रह के वातावरण में मंगलयान द्वारा रिकॉर्ड की गई मीथेन गैस की उपस्थिति की ओर है।
हालांकि इन संकेतों को वैज्ञानिक रूप से पुष्टि किया जाना बाकी है, सो, हमें इस बात का इंतज़ार करना होगा कि भारत का यह दुनिया में सबसे सस्ता मंगल मिशन विज्ञान के इतिहास को नए सिरे से लिखने में कामयाब होता है या नहीं।
इसरो प्रमुख एएस किरण कुमार के मुताबिक, अंतरिक्ष संगठन 5 नवंबर को 'फिशिंग हैमलेट टु मार्स' नामक एक पुस्तक भी जारी करने जा रहा है।
कुमार ने कहा, "मार्स (मिशन) अब कई साल तक काम करता रहेगा, क्योंकि यह सोलर कन्जन्क्शन को पार कर चुका है, सो, हमें कोई समस्या नज़र नहीं आती..."
गौरतलब है कि अंतरिक्ष विज्ञान में नया इतिहास रचते हुए भारत ने 24 सितंबर, 2014 को अपने बेहद कम खर्च वाले मंगलयान को अपनी पहली ही कोशिश में मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित कर दिया था, और दुनिया का तीसरा देश बन गया था, जो मंगल तक पहुंचे।
इस एक साल के दौरान मार्स ऑरबिटर मिशन (MOM) ने लाल ग्रह की बेहद शानदार तस्वीरों के अलावा मंगल की पूरी परिधि तथा सौरमंडल के सबसे ऊंचे ज्वालामुखियों व सबसे गहरी घाटियों की तस्वीरें भी भेजी हैं। मंगलयान पर लगे मार्स कलर कैमरा के जरिये खींची गईं लगभग 350 तस्वीरों में से 100 से भी अधिक इस वैज्ञानिक एटलस में शुमार की गई हैं।
Celebrating one year of Mars Orbiter Mission in Orbit; Release of Mars Atlas - See more at: http://t.co/adZ75gYyDJ pic.twitter.com/YUOKFFa3lO
— ISRO (@isro) September 24, 2015
मंगलयान द्वारा धरती पर भेजी गई इन तस्वीरों तथा डाटा से मंगल ग्रह के रहस्यों को सुलझाने में काफी मदद मिलेगी।
इसरो के अनुसार, "अब सूखे हो चुके तथा धूलभरे इस ग्रह के बारे में भेजे गए डाटा के विश्लेषण से मिले संकेतों से मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना के आसार बढ़ गए हैं..." माना जा रहा है कि इस बयान का इशारा मंगल ग्रह के वातावरण में मंगलयान द्वारा रिकॉर्ड की गई मीथेन गैस की उपस्थिति की ओर है।
हालांकि इन संकेतों को वैज्ञानिक रूप से पुष्टि किया जाना बाकी है, सो, हमें इस बात का इंतज़ार करना होगा कि भारत का यह दुनिया में सबसे सस्ता मंगल मिशन विज्ञान के इतिहास को नए सिरे से लिखने में कामयाब होता है या नहीं।
इसरो प्रमुख एएस किरण कुमार के मुताबिक, अंतरिक्ष संगठन 5 नवंबर को 'फिशिंग हैमलेट टु मार्स' नामक एक पुस्तक भी जारी करने जा रहा है।
कुमार ने कहा, "मार्स (मिशन) अब कई साल तक काम करता रहेगा, क्योंकि यह सोलर कन्जन्क्शन को पार कर चुका है, सो, हमें कोई समस्या नज़र नहीं आती..."
गौरतलब है कि अंतरिक्ष विज्ञान में नया इतिहास रचते हुए भारत ने 24 सितंबर, 2014 को अपने बेहद कम खर्च वाले मंगलयान को अपनी पहली ही कोशिश में मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित कर दिया था, और दुनिया का तीसरा देश बन गया था, जो मंगल तक पहुंचे।
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