काजीरंगा के गैंडों को शिकारियों से बचाने के लिए 'करीना' और 'बबली' की तैनाती

काजीरंगा के गैंडों को शिकारियों से बचाने के लिए 'करीना' और 'बबली' की तैनाती

फाइल फोटो

गुवाहाटी:

असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों को शिकारियों से बचाने के लिए अब तक जोरबा अकेला खोजी कुत्ता था, लेकिन जल्द ही उद्यान में उसके दो और साथी होंगे।

उद्यान प्राधिकारियों ने एक सींग वाले प्रख्यात गैंडों को शिकारियों से बचाने के लिए दो और खोजी कुत्ते करीना और बबली को लाने का फैसला किया है। शिकारियों का सामना करने के लिए महीनों के प्रशिक्षण के बाद खोजी कुत्ते असम पहुंच चुके हैं और माहौल से परिचय होने के बाद उन्हें काम पर लगाया जाएगा।

वन्यजीव व्यापार निगरानी नेटवर्क ट्रैफिक के प्रमुख डॉ शेखर कुमार नीरज ने बताया, कुत्तों ने साबित किया है कि वे शिकार विरोधी अभियानों में बहुत प्रभावी हैं। हमारे जंगलों को ऐसे कई कुत्तों की जरूरत है। उन्होंने हमें बहुत महत्वपूर्ण सुराग दिए हैं, यहां तक की अपराध होने के बाद भी शिकारियों या वैन्य जीव संबंधी सामानों को खोज में सुराग इन कुत्तों ने दिए हैं।

करीना जर्मन शेपर्ड है और उसे TRAFFIC द्वारा लाया गया है, जबकि बबली बेल्जियम शेपर्ड नस्ल की है, उसे गुवाहाटी स्थित संरक्षक निकाय आरण्यक ने दिया है। काजीरंगा का खोजी कुत्तों से वास्ता 2013 में तब पड़ा था, जब जोरबा को आरण्यक स्लोवाकिया से लेकर आया। जब से पांच वार्षीय जोबरा यहां आया है, तब से उसने 10 गिरफ्तारियां कराई हैं और अधिकारियों का दावा है कि उसका सफलता का अनुपात 60 प्रतिशत से अधिक है।

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काजीरंगा उद्यान के निदेशक एमके यादव ने कहा, हम अनुभव से खुश हैं। वह 60 फीसदी मामलों में सफल रहा। कई मर्तबा दुगर्म क्षेत्र और बारिश का मौसम उनके कौशल को सीमित कर देता है।