भोपाल:
मध्य प्रदेश में सरकारी अमले के कर्मचारियों से लेकर अफसरों तक की काली कमाई का खुलासा होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को जेल विभाग के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) उमेश गांधी के यहां लोकायुक्त पुलिस द्वारा मारे गए छापे में 25 करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति होने का खुलासा हुआ है। छापेमारी की कार्रवाई जारी है।
जानकारी के मुताबिक, लोकायुक्त पुलिस को डीआईजी (जेल) गांधी के पास आय से अधिक सपत्ति होने की शिकायत मिली थी। इसकी तस्दीक करने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने शनिवार की सुबह गांधी के भोपाल स्थित सरकारी आवास, उनके भाई के सुभाषनगर स्थित आवास व सागर में एक साथ दबिश दी।
लोकायुक्त की दबिश में गांधी के आवास से दो करोड़ 30 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट, 40 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी, चार लाख रुपये नकद और 10 लाख के जेवरात के अलावा इंदौर, भोपाल, सागर में आवास व भूखंड होने के दस्तावेज मिले हैं।
दस्तावेज के मुताबिक, गांधी के इंदौर, भोपाल व कटनी में दुकानें हैं। इसके अलावा भोपाल में तीन आवास, छह भूखंड व अन्य स्थानों पर भी भूखंड है। बैंक खातों में 85 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जमा है। इस तरह उनके पास 25 करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति है।
सूत्रों के अनुसार, गांधी ने रियल एस्टेट के क्षेत्र में भी निवेश किया है। इससे सम्बंधित दस्तावेज भी लोकायुक्त दलों के हाथ लगे हैं। गांधी का भाई भी जेल विभाग में कार्यरत है। उसके यहां से भी सम्पत्ति के दस्तावेज मिले हैं। सागर में गांधी के परिजन परिवहन व बीज का कारोबार भी कर रहे हैं।
राज्य में लोकायुक्त के छापों में कर्मचारियों से लेकर अफसरों तक के यहां से करोड़ों रुपये की सम्पत्ति मिलने पर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट और मध्य प्रदेश स्थापना दिवस मनाकर गौरव महसूस करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार की असलियत यह है कि उन्होंने पूरे प्रदेश के शासन-प्रशासन का भ्रष्टाचारीकरण कर दिया है जहां चपरासी 10 करोड़ व आईएएस 350 करोड़ रुपये का आसामी है।
सिंह ने कहा है कि पिछले एक साल में भ्रष्टाचार से कमाई गई लगभग एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति जब्त हुई है। इसके लिए सीधे मुख्यमंत्री जवाबदेह हैं, क्योंकि वे ही भाजपा सरकार के मुखिया हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जेल विभाग के पुलिस उप महानिरीक्षक के यहां 25 करोड़ रुपये की सम्पत्ति मिलना इस बात का द्योतक है कि भाजपा सरकार की भ्रष्टाचार रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
जानकारी के मुताबिक, लोकायुक्त पुलिस को डीआईजी (जेल) गांधी के पास आय से अधिक सपत्ति होने की शिकायत मिली थी। इसकी तस्दीक करने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने शनिवार की सुबह गांधी के भोपाल स्थित सरकारी आवास, उनके भाई के सुभाषनगर स्थित आवास व सागर में एक साथ दबिश दी।
लोकायुक्त की दबिश में गांधी के आवास से दो करोड़ 30 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट, 40 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी, चार लाख रुपये नकद और 10 लाख के जेवरात के अलावा इंदौर, भोपाल, सागर में आवास व भूखंड होने के दस्तावेज मिले हैं।
दस्तावेज के मुताबिक, गांधी के इंदौर, भोपाल व कटनी में दुकानें हैं। इसके अलावा भोपाल में तीन आवास, छह भूखंड व अन्य स्थानों पर भी भूखंड है। बैंक खातों में 85 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जमा है। इस तरह उनके पास 25 करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति है।
सूत्रों के अनुसार, गांधी ने रियल एस्टेट के क्षेत्र में भी निवेश किया है। इससे सम्बंधित दस्तावेज भी लोकायुक्त दलों के हाथ लगे हैं। गांधी का भाई भी जेल विभाग में कार्यरत है। उसके यहां से भी सम्पत्ति के दस्तावेज मिले हैं। सागर में गांधी के परिजन परिवहन व बीज का कारोबार भी कर रहे हैं।
राज्य में लोकायुक्त के छापों में कर्मचारियों से लेकर अफसरों तक के यहां से करोड़ों रुपये की सम्पत्ति मिलने पर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट और मध्य प्रदेश स्थापना दिवस मनाकर गौरव महसूस करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार की असलियत यह है कि उन्होंने पूरे प्रदेश के शासन-प्रशासन का भ्रष्टाचारीकरण कर दिया है जहां चपरासी 10 करोड़ व आईएएस 350 करोड़ रुपये का आसामी है।
सिंह ने कहा है कि पिछले एक साल में भ्रष्टाचार से कमाई गई लगभग एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की सम्पत्ति जब्त हुई है। इसके लिए सीधे मुख्यमंत्री जवाबदेह हैं, क्योंकि वे ही भाजपा सरकार के मुखिया हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जेल विभाग के पुलिस उप महानिरीक्षक के यहां 25 करोड़ रुपये की सम्पत्ति मिलना इस बात का द्योतक है कि भाजपा सरकार की भ्रष्टाचार रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
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