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This Article is From Apr 16, 2017

ये है रियल 'मर्दानी', डेढ़ साल की नौकरी में 500 से ज्यादा बच्चों को मां-बाप से मिलवाया

ये है रियल 'मर्दानी', डेढ़ साल की नौकरी में 500 से ज्यादा बच्चों को मां-बाप से मिलवाया
सेंट्रल रेलवे के मुंबई डिविजन में रेलवे पुलिस ने पिछले 2016 में 1150 बच्चों को बचाया था. तस्वीर: प्रतीकात्मक
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
CST रेलवे स्टेशन पर तैनात महिला पुलिसकर्मी ने डेढ़ साल में बचाए 532 बच्चे
बहादुर महिला पुलिसकर्मी का नाम है रेखा मिश्रा
मूलरूप से इलाहाबाद की रहने वाली हैं सब इंस्पेक्टर रेखा मिश्रा
मुंबई: साल 2014 में आई फिल्म 'मर्दानी' में अभिनेत्री रानी मुखर्जी एक ऐसी महिला ऑफिसर का रोल निभाती दिखीं थीं जो देह व्यापार के धंधे में धकेली जा चुकीं बच्चियों को बचाती हैं. मुंबई में आरपीएफ की एक रियल 'मर्दानी' पुलिस ऑफिसर हैं, एक साल की नौकरी में 432 बच्चों को बचा चुकी हैं. छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर इन दिनों ड्यूटी करने वाली 32 वर्षीय सब इंस्पेक्टर का नाम रेखा मिश्रा है. सेंट्रल रेलवे के मुंबई डिविजन में रेलवे पुलिस ने पिछले 2016 में 1150 बच्चों को बचाया था, जिसमें रेखा मिश्रा ने अकेले 434 बच्चों को बचाने में मदद कीं. इतना ही नहीं 2017 के शुरुआती तीन महीनों में 100 से ज्यादा बच्चों को बचा चुकी हैं. उन्होंने बताया कि सीएसटी से बचाए गए बच्चों में या तो वे किसी वजह से परिवार से बिछुड़ गए थे या वे किसी मानव तस्कर गैंग के शिकार थे.  

देश के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक सीएसटी पर रेखा मिश्रा रोजाना करीब 12 घंटे ड्यूटी करती हैं. इस दौरान उनकी नजरें उन्हें ढूंढती हैं जो डरे सहमे हुए दिखते हैं. ऐसे में ज्यादातर मामलों में उन्हें बच्चे ही मिलते हैं.

मुंबई मिरर की खबर के मुताबिक रेखा मिश्रा उत्तर प्रदेश इलाहाबाद शहर की रहने वाली हैं. उनकी पढ़ाई-लिखाई भी वहीं से हुई है. वह कहती हैं उनके पिता सुरेंद्र नारायण सेना से रिटायर हो चुके हैं और तीन भाई अभी भी सेना में नौकरी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके मां-पिता बचपन से ही बच्चों से लगाव रखने की सीख देते रहे. शायद यही वजह है कि वह पुलिस की नौकरी में भी बच्चों को बचाने की भरसक कोशिश करती हैं.

आरपीएफ के अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक साल की नौकरी में कई मौकों पर रेखा किसी बच्चे की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक चली गईं हैं. रेखा मिश्रा बताती हैं कि पिछले साल उन्होंने 400 से ज्यादा बच्चों को बचाया, लेकिन चेन्नई की तीन लड़कियों की कहानी उन्हें हमेशा याद रहेगी. उन्होंने बताया कि तीनों लड़कियों की उम्र करीब 14 साल थी. वे देह व्यापार से जुड़े लोगों के चंगुल से भागकर आईं थीं. वे बेहद घबराई हुईं थीं. जब वे अपनी मां से मिलीं तो उस वक्त का सीन मेरे दिमाग पर छाप छोड़ गया है.

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