सुमन के एक आइडिया से 250 लोगों को मिला रोजगार, अमेरिका-चीन में है इनके सामान की डिमांड

कोलकाता के मारवाड़ी परिवार से आने वाली सुमन संथोलिया की कहानी बिल्कुल फिल्मी है. वह हिन्दी माध्यम से स्नातक हैं. जब उनकी शादी लोहे का काम करने वाले बीबी संथोलिया से हुई तो उन्होंने सोचा भी नहीं था कि वह हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में कई देशों को लोहा मनवाएंगी.

सुमन के एक आइडिया से 250 लोगों को मिला रोजगार, अमेरिका-चीन में है इनके सामान की डिमांड

कोलकाता के मारवाड़ी परिवार से आने वाली सुमन संथोलिया की कहानी बिल्कुल फिल्मी है.

खास बातें

  • घर में बैठे-बैठे सुमन के मन में आया आइडिया
  • हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में कई देशों को लोहा मनवा रही सुमन
  • उनके साथ 260 लोग करते हैं काम, जिसमें 10 दृष्टिहीन लोग भी
साहिबाबाद:

साहिबाबाद के औद्योगिक इलाके में सामान्य सी दिखने वाली फैक्ट्री के बाहर न कोई स्किल इंडिया ट्रेनिंग सेंटर का बोर्ड लगा है, और न ही बड़े दावे दिखे हैं. फैक्ट्री के अंदर 250 से ज्यादा महिलाएं और करीब 10 दृष्टिहीन व्यक्ति काम करते हैं. फैक्ट्री के अंदर पहुंचने पर पता चलता है कि आखिर इसकी मालकिन सुमन संथोलिया को क्यों नेशनल और दिल्ली का स्टेट अवार्ड मिला. फैक्ट्री में बनने वाले हैंडीक्राफ्ट सामानों के नौ देश क्यों कायल है. सुई से लेकर जहाज तक बनाने वाला चीन क्यों इस फैक्ट्री के हैंडीक्राफ्ट को मंगवाता है.

कोलकाता के मारवाड़ी परिवार से आने वाली सुमन संथोलिया की कहानी बिल्कुल फिल्मी है. वह हिन्दी माध्यम से स्नातक हैं. जब उनकी शादी लोहे का काम करने वाले बीबी संथोलिया से हुई तो उन्होंने सोचा भी नहीं था कि वह हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में कई देशों को लोहा मनवाएंगी. 

सुमन बताती हैं कि वो घर में खाली बैठी रहती थी तभी उन्हें ख्याल आया कि क्यों न हैंडीक्राफ्ट के सामान बनाए जाए. इसके लिए पहले उन्होंने अपनी मेड को तैयार किया. वरली कला उन्होंने सीखी फिर अपनी काम वाली को सिखाया. छोटी सी जगह में इन दोनों महिलाओं ने हैंडीक्राफ्ट का सामान तैयार करना शुरू किया. 

वह कहती हैं कि मुझे तलाश थी उन गरीब महिलाओं की जो घर में खाली बैठी रहती थी. इसी के चलते उन्होंने अपनी गली के मजदूरों की पत्नियां, प्रेसवालों और ड्राइवर की पत्नी को अपने साथ काम करने को राजी किया. इन महिलाओं को पहले सिखाया फिर छोटी सी जगह पर डेकोरेशन करने वाले सजावटी हैंडमेड सामान तैयार करना शुरू किया. आज इनकी फैक्ट्री में 250 से ज्यादा महिलाएं काम करती है. 

सुमन बताती हैं कि कोई भी महिला आए काम सीखे फिर हमारे साथ जुड़ जाए. इससे महिलाएं आर्थिकतौर पर मजबूत बनती है. आज उनकी बनाई गई मेज राष्ट्रपति भवन की शोभा बनी है. अफ्रीकन देशों के कांन्फ्रेस में भारत की तरफ से दिए जा रहे मोमेंटो उन्हीं की फैक्ट्री में तैयार हुए थे. उनके हैंडीक्राफ्ट की खासियत हाथ से बनाए जा रहे सजावटी सामान है. 

देश विदेश में उनके हैंडीक्राफ्ट की तारीफ होती है. इसी के चलते दिल्ली सरकार ने पहले उन्हें स्टेट अवार्ड दिया फिर उन्हें नेशनल अवार्ड मिला. स्किल इंडिया पर करोड़ों खर्च करने वाली सरकार से बिना कोई मदद लिए सुमन लगातार मजबूर महिलाओं को मजबूत बना रही है.


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