विवाह की प्रतीकात्मक तस्वीर
अलीराजपुर (एमपी):
एक आदिवासी युवक ने जिले के बोरखड़े इलाके में एक जैसे नाम वाली अपनी दो प्रेमिकाओं के साथ एक ही मंडप में विवाह रचाकर अनोखी नजीर पेश की है।
बीती 12 मई को संपन्न हुए इस विवाह की खबर उस समय फैली जब कुछ आदिवासी युवकों ने ‘वाट्सऐप ग्रुप’ पर शादी की फोटो और जानकारी साझा की। दूल्हा रतु सिंह डावर (23) और उसकी दोनों दुल्हनों का नाम ‘शर्मिला’ है।
इस विवाह में आदिवासी भिलाला समुदाय के वरिष्ठ नागरिकों ने जमकर जश्न मनाया और सभी खूब नाचे-गाए। आदिवासी भिलाला समुदाय खुद को राजपूत मानते हैं।
दूल्हा रतु सिंह के अनुसार, उसे तीन साल पहले शर्मिला मंडलोई (21) से प्यार हुआ, जो पलासदा गांव की निवासी है। दोनों घर से भाग गए और ‘लिव इन रिलेशन’ में रहने लगे। इस शर्मिला से उसे एक पुत्र और एक पुत्री हुई। रतु सिंह आसपास के इलाकों में मजदूरी का काम करता है।
उसने कहा कि लगभग एक साल पहले उसकी मुलाकात अजंदा गांव में रहने वाली इसी नाम की शर्मिला चौहान (20) से हुई और दोनों में प्यार पनपने लगा। रतु सिंह एक बार फिर इस शर्मिला को लेकर भागा और दोनों शर्मिला एक साथ रतु सिंह के साथ प्यार और शांति से रहने लगीं।
रतु सिंह ने कहा कि जब समुदाय के बुजुर्गों ने उसे समझाया कि जब तक वह विवाह नहीं करेगा, तब तक उसे मान्यता नहीं मिलेगी। उसने तभी ‘लिव इन रिलेशनशिप’ तोड़कर दोनों शर्मिलाओं से विवाह करने का फैसला किया।
उसने कहा, 'विवाह के बाद अब मैं और मेरी दोनों पत्नियां अपने समाज में एक सम्मानजनक स्थान पा चुके हैं।' भिलाला समुदाय के ही मुकेश पटेल ने कहा कि उनका समुदाय किसी व्यक्ति द्वारा एक से अधिक पत्नी रखने का विरोधी नहीं है।
दोनों शर्मिला ने अपने आपको रतु सिंह के साथ सुखी बताते हुए कहा, 'हम दोनों बहनों की तरह मिलजुलकर रहती हैं। हम कभी एक दूसरे से नहीं झगड़ते और रतु सिंह भी दोनों का सम्मान बरकरार रखते हुए एक समान व्यवहार करते हैं। हम दोनों में कभी उन्होंने (रतु सिंह ने) भेदभाव नहीं किया।'
एक ही मंडप में समान नाम वाली दो महिलाओं से रतु सिंह द्वारा विवाह करने को लेकर वकील राजेश वाघेला ने कहा कि ऐसी शादियों को यूं तो हिन्दू विवाह कानून में मान्यता नहीं है, लेकिन यदि दोनों दुल्हनों अथवा उनके परिवार को कोई आपत्ति नहीं है, तो अलग बात है। ऐसे विवाह हालांकि अशिक्षा की वजह से होते हैं। उन्होने कहा कि अब तो आदिवासी समाज में भी बहुपत्नी प्रथा धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है।
बीती 12 मई को संपन्न हुए इस विवाह की खबर उस समय फैली जब कुछ आदिवासी युवकों ने ‘वाट्सऐप ग्रुप’ पर शादी की फोटो और जानकारी साझा की। दूल्हा रतु सिंह डावर (23) और उसकी दोनों दुल्हनों का नाम ‘शर्मिला’ है।
इस विवाह में आदिवासी भिलाला समुदाय के वरिष्ठ नागरिकों ने जमकर जश्न मनाया और सभी खूब नाचे-गाए। आदिवासी भिलाला समुदाय खुद को राजपूत मानते हैं।
दूल्हा रतु सिंह के अनुसार, उसे तीन साल पहले शर्मिला मंडलोई (21) से प्यार हुआ, जो पलासदा गांव की निवासी है। दोनों घर से भाग गए और ‘लिव इन रिलेशन’ में रहने लगे। इस शर्मिला से उसे एक पुत्र और एक पुत्री हुई। रतु सिंह आसपास के इलाकों में मजदूरी का काम करता है।
उसने कहा कि लगभग एक साल पहले उसकी मुलाकात अजंदा गांव में रहने वाली इसी नाम की शर्मिला चौहान (20) से हुई और दोनों में प्यार पनपने लगा। रतु सिंह एक बार फिर इस शर्मिला को लेकर भागा और दोनों शर्मिला एक साथ रतु सिंह के साथ प्यार और शांति से रहने लगीं।
रतु सिंह ने कहा कि जब समुदाय के बुजुर्गों ने उसे समझाया कि जब तक वह विवाह नहीं करेगा, तब तक उसे मान्यता नहीं मिलेगी। उसने तभी ‘लिव इन रिलेशनशिप’ तोड़कर दोनों शर्मिलाओं से विवाह करने का फैसला किया।
उसने कहा, 'विवाह के बाद अब मैं और मेरी दोनों पत्नियां अपने समाज में एक सम्मानजनक स्थान पा चुके हैं।' भिलाला समुदाय के ही मुकेश पटेल ने कहा कि उनका समुदाय किसी व्यक्ति द्वारा एक से अधिक पत्नी रखने का विरोधी नहीं है।
दोनों शर्मिला ने अपने आपको रतु सिंह के साथ सुखी बताते हुए कहा, 'हम दोनों बहनों की तरह मिलजुलकर रहती हैं। हम कभी एक दूसरे से नहीं झगड़ते और रतु सिंह भी दोनों का सम्मान बरकरार रखते हुए एक समान व्यवहार करते हैं। हम दोनों में कभी उन्होंने (रतु सिंह ने) भेदभाव नहीं किया।'
एक ही मंडप में समान नाम वाली दो महिलाओं से रतु सिंह द्वारा विवाह करने को लेकर वकील राजेश वाघेला ने कहा कि ऐसी शादियों को यूं तो हिन्दू विवाह कानून में मान्यता नहीं है, लेकिन यदि दोनों दुल्हनों अथवा उनके परिवार को कोई आपत्ति नहीं है, तो अलग बात है। ऐसे विवाह हालांकि अशिक्षा की वजह से होते हैं। उन्होने कहा कि अब तो आदिवासी समाज में भी बहुपत्नी प्रथा धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है।
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