कोलोन (जर्मनी):
जर्मनी का शहर कोलोन राइन नदी के किनारे बसा है। इस नदी को पार करने के कई तरीके हैं, लेकिन आप यहां से कैसे भी जाएं, इस नदी पर बने पुल पर लगे तालों को नजरअंदाज नहीं कर सकेंगे। कहा जाता है कि इस पुल पर लोगों के प्यार की कहानी कह रहे इन तालों का वजन करीब दो टन है।
इटली में शुरू हुआ यह रूमानी रिवाज जर्मनी जैसे संजीदा देश में इतना लोकप्रिय होगा, मैंने कभी सोचा नहीं था। लेकिन वेनिस के रिअल्तो पुल से भी ज्यादा ताले अब यहां दिख रहे हैं।
32 साल की एवेल्यां लीबे यहां अपने प्यार की निशानी निशानी को ढूंढ रही हैं। छह महीने पहले उन्होंने अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ यहां पर एक ताला लगाया, जो आज इन हजारों की भीड़ में कहीं खो गया है। इन तालों की भीड़ में कहीं वह ताला भी है, जो उनके ब्वॉयफ्रेंड ने उनके साथ यहां उस रात लगाया, जब उसने शादी के लिए एवेल्यां को पूछा। एवेल्यां कहती हैं कि यह उनके सबसे यादगार पलों में से एक है।
न जाने मोहब्बत की ऐसी कितनी ही कहानियां यहां पर लोहे और पीतल के इन तालों के तौर पर बंधी हैं। एक छोर से दूसरे छोर तक नजर दौड़ाएं तो हैरानी होती है। यह पुल दूसरे विश्व युद्ध में पूरी तरह बर्बाद हो गया, लेकिन जैसा कि जर्मनी में हर चीज के साथ हुआ, इसे भी चंद सालों में एक बार फिर खड़ा कर लिया गया।
युद्ध के बाद की जिंदगी में इस पुल पर लटकते इन तालों में लोगों ने नए मायने ढूंढे। मैंने कोशिश कि सबसे पुराने ताले को खोजूं, लेकिन 1984 से पहले का ताला ढूंढ नहीं पाई। कई जंग खाए तालों में तो उनके लगाने वालों के नाम और साल नजर ही नहीं आ रहे थे। जाते-जाते मैंने भी एक ताला यहां लगाया...अपने और इस शहर के नाम (अंजिली और कोलोन-2012) का।
इटली में शुरू हुआ यह रूमानी रिवाज जर्मनी जैसे संजीदा देश में इतना लोकप्रिय होगा, मैंने कभी सोचा नहीं था। लेकिन वेनिस के रिअल्तो पुल से भी ज्यादा ताले अब यहां दिख रहे हैं।
32 साल की एवेल्यां लीबे यहां अपने प्यार की निशानी निशानी को ढूंढ रही हैं। छह महीने पहले उन्होंने अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ यहां पर एक ताला लगाया, जो आज इन हजारों की भीड़ में कहीं खो गया है। इन तालों की भीड़ में कहीं वह ताला भी है, जो उनके ब्वॉयफ्रेंड ने उनके साथ यहां उस रात लगाया, जब उसने शादी के लिए एवेल्यां को पूछा। एवेल्यां कहती हैं कि यह उनके सबसे यादगार पलों में से एक है।
न जाने मोहब्बत की ऐसी कितनी ही कहानियां यहां पर लोहे और पीतल के इन तालों के तौर पर बंधी हैं। एक छोर से दूसरे छोर तक नजर दौड़ाएं तो हैरानी होती है। यह पुल दूसरे विश्व युद्ध में पूरी तरह बर्बाद हो गया, लेकिन जैसा कि जर्मनी में हर चीज के साथ हुआ, इसे भी चंद सालों में एक बार फिर खड़ा कर लिया गया।
युद्ध के बाद की जिंदगी में इस पुल पर लटकते इन तालों में लोगों ने नए मायने ढूंढे। मैंने कोशिश कि सबसे पुराने ताले को खोजूं, लेकिन 1984 से पहले का ताला ढूंढ नहीं पाई। कई जंग खाए तालों में तो उनके लगाने वालों के नाम और साल नजर ही नहीं आ रहे थे। जाते-जाते मैंने भी एक ताला यहां लगाया...अपने और इस शहर के नाम (अंजिली और कोलोन-2012) का।
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