पुणे:
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की आवाज का एक दुर्लभ ऑडियो मिला है, जो 97 साल पहले का है। कभी अपनी आवाज से अंग्रेजों को थर्रा देने वाले इस महान नेता के प्रपौत्र दीपक तिलक ने बताया कि केसरी ट्रस्ट के पुस्तकालय में वर्षों से लोकमान्य के लेखों और किताबों के व्यापक संग्रह को संभालकर रखा गया है, लेकिन उनकी आवाज का ऑडियो उपलब्ध नहीं था।
तिलक की आवाज का यह ऑडियो 21 सितंबर, 1915 को गणेश उत्सव के दौरान एक संगीत कार्यक्रम में सेठ लखमीचंद नारंग ने रिकॉर्ड किया था। गणेश उत्सव की शुरुआत लोगों को एकजुट करने के लिए खुद तिलक ने ही की थी। संगीत के कद्रदान रहे नारंग अपने जमाने के मशहूर शास्त्रीय गायकों- मास्टर कृष्णराव, पंडित भास्करबुआ बाखले और बालगंधर्व के कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग के लिए अमेरिका में निर्मित एक रिकॉर्डिंग मशीन लेकर आए थे।
इन गायकों को 'केसरी वाडा' में आयोजित उत्सव के लिए तिलक ने आमंत्रित किया था। इस ऑडियो में तिलक समारोह में बड़ी संख्या में एकत्र हुए लोगों से शांत रहने की अपील करते सुनाई देते हैं, ताकि कार्यक्रम सुचारू रूप से चल सके।
बाखले के पौत्रों- सुहास और सुधीर दातर तथा पौत्रवधू शैलजा दातर के पास उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार लोकमान्य मराठी में यह कहते सुनाई देते हैं, मेरी इच्छा है कि श्रोता शांति बनाए रखें। मैं किसी तरह का शोर-शराबा बर्दाश्त नहीं करूंगा, जिन्हें बाहर जाना है जा सकते हैं, लेकिन समारोह तय कार्यक्रम के अनुसार चलेगा।
इस घटना का संदर्भ मास्टर कृष्णराव द्वारा तिलक की स्मृति में लिखी गई किताब में भी मिलता है। किताब में उल्लेख किया गया है कि गणेश उत्सव में संगीत समारोह के दौरान बड़ी संख्या में एकत्र हुए लोगों को शांत करने के लिए तिलक को हस्तक्षेप करना पड़ा। श्रोता जाने-माने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायकों को सुनने के लिए बेताब थे। लोकमान्य के इस हस्तक्षेप का वर्णन पंडित बाखले से संबंधित दस्तावेजों में भी है।
तिलक ट्रस्ट के अध्यक्ष दीपक तिलक के अनुसार यह लोकमान्य की आवाज की एकमात्र रिकॉर्डिंग है, जिसे सेठ लखमीचंद के पौत्र मुकेश नारंग ने संभालकर रखा हुआ था।
तिलक की आवाज का यह ऑडियो 21 सितंबर, 1915 को गणेश उत्सव के दौरान एक संगीत कार्यक्रम में सेठ लखमीचंद नारंग ने रिकॉर्ड किया था। गणेश उत्सव की शुरुआत लोगों को एकजुट करने के लिए खुद तिलक ने ही की थी। संगीत के कद्रदान रहे नारंग अपने जमाने के मशहूर शास्त्रीय गायकों- मास्टर कृष्णराव, पंडित भास्करबुआ बाखले और बालगंधर्व के कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग के लिए अमेरिका में निर्मित एक रिकॉर्डिंग मशीन लेकर आए थे।
इन गायकों को 'केसरी वाडा' में आयोजित उत्सव के लिए तिलक ने आमंत्रित किया था। इस ऑडियो में तिलक समारोह में बड़ी संख्या में एकत्र हुए लोगों से शांत रहने की अपील करते सुनाई देते हैं, ताकि कार्यक्रम सुचारू रूप से चल सके।
बाखले के पौत्रों- सुहास और सुधीर दातर तथा पौत्रवधू शैलजा दातर के पास उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार लोकमान्य मराठी में यह कहते सुनाई देते हैं, मेरी इच्छा है कि श्रोता शांति बनाए रखें। मैं किसी तरह का शोर-शराबा बर्दाश्त नहीं करूंगा, जिन्हें बाहर जाना है जा सकते हैं, लेकिन समारोह तय कार्यक्रम के अनुसार चलेगा।
इस घटना का संदर्भ मास्टर कृष्णराव द्वारा तिलक की स्मृति में लिखी गई किताब में भी मिलता है। किताब में उल्लेख किया गया है कि गणेश उत्सव में संगीत समारोह के दौरान बड़ी संख्या में एकत्र हुए लोगों को शांत करने के लिए तिलक को हस्तक्षेप करना पड़ा। श्रोता जाने-माने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायकों को सुनने के लिए बेताब थे। लोकमान्य के इस हस्तक्षेप का वर्णन पंडित बाखले से संबंधित दस्तावेजों में भी है।
तिलक ट्रस्ट के अध्यक्ष दीपक तिलक के अनुसार यह लोकमान्य की आवाज की एकमात्र रिकॉर्डिंग है, जिसे सेठ लखमीचंद के पौत्र मुकेश नारंग ने संभालकर रखा हुआ था।
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