राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की वृंदावन यात्रा के दौरान उनकी हिफाजत के लिए पुलिस और सेना तो होगी ही, 10 लंगूर भी तैनात
रहेंगे, जो वृंदावन के उत्पाती बंदरों से उनकी हिफाजत करेंगे।
यूपी पुलिस ने इन लंगूरों को बांके बिहारी मंदिर और चंद्रोदय मंदिर पर तैनात किया है, जहां 16 नवंबर को राष्ट्रपति को जाना है।
वैसे तो राष्ट्रपति सेना के तीनों अंगों के सुप्रीम कमांडर हैं, जिनमें सवा 13 लाख से ज्यादा फौजी हैं। उनकी हिफाजत आर्मी के प्रेसिडेंट बॉडी गार्ड्स करते हैं। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के तीन एडीसी उनकी सिक्युरिटी में होते हैं, लेकिन इस बार वृंदावन में उनकी सुरक्षा में करीब चार हजार अफसर-जवानों के अलावा 10 लंगूर भी शामिल होंगे, जो बंदरों से उनकी हिफाजत करेंगे।
मथुरा के एएसपी अजयपाल शर्मा ने बताया कि बंदरों से सुरक्षा के लिए पुलिस बल भी वहां तैनात रहेंगे, इसके अलावा कुछ लंगूर वाले भी बुलाए गए हैं, जिससे कि बंदर थोड़ा दूर रह सकें और किसी तरह का उत्पात न मचाएं।
वृंदावन की गलियों में भक्तों की काफी भीड़ है, लेकिन यहां बंदरों की तादाद भी काफी ज्यादा है। एक अंदाजे के मुताबिक यहां करीब दो लाख बंदर हैं। ये बंदर भक्तों से प्रसाद, चश्मे, मोबाइल और कैमरे आदि छीन लेते हैं। यही नहीं कई बार ये बंदर कैमरे से फोटो भी खींचते दिख जाते हैं।
जिस सड़क से राष्ट्रपति गुजरेंगे, उस सड़क के घरों की छतों पर लंगूर तैनात रहेंगे, जिसकी मॉक ड्रिल अभी से हो रही है। लंगूर के ठेकेदार मनोज बताते हैं कि यहां पर बंदरों का काफी आतंक है, जो चश्मे आदि छीन लेते हैं। हमें राष्ट्रपति के आगमन के मद्देनजर यहां लंगूरों को तैनात रखने को कहा गया है, जिससे राष्ट्रपति जी को कोई परेशानी न हो।
देश के तमाम शहरों में बंदरों का आतंक है। कहते हैं कि इंसानों ने जानवरों के बसेरे उजाड़कर अपनी बस्तियां बना ली हैं, इसलिए वे शहरों में आम आदमी से लेकर राष्ट्रपति तक के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। कुदरत की बनाई हुई इस सृष्टि में यूं तो हर किसी को जीने का हक हासिल है, जिसे कुदरत ने बनाया है, लेकिन जब इंसान उनसे जीने का हक छीन लेता है, तो बहुत तरह की परेशानियां पैदा होती हैं।
वृंदावन और अयोध्या जैसी जगहों पर बंदरों को हनुमान का अवतार समझकर तीर्थयात्री उनकी खातिरदारी करते हैं। देश की वीआईपी हस्तियों की सुरक्षा के लिए मिलिट्री, पारा-मिलिट्री फोर्स, एसपीजी, एनएसजी कमांडो, पुलिस और तमाम तरह की खुफिया एजेंसियां हैं, लेकिन वृंदावन में पहली बार लंगूर रेजीमेंट की जरूरत महसूस हुई है।
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