मूल रूप से बिहार के बेतिया के रहने वाले गोपाल सिंह नेपाली का जन्म 11 अगस्त 1911 में हुआ था.
नई दिल्ली:
ट्विटर पर #GopalSinghNepali टॉप ट्रेंड कर रहा है. ट्वीट पर नजर डालें तो कई युवा सवाल पूछते दिख रहे हैं कि आखिर गोपाल सिंह नेपाली कौन हैं? ऐसे में हम आपको हिंदी के इस महान लेखक के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं. इस लेखक की रचनाओं के बारे में फिर कभी डिटेल में बताएंगे, लेकिन यहां उनके जीवन से जुड़ी वो बातें बता रहे हैं जो बेहद रोचक हैं. अगर एक वाक्य में गोपाल सिंह नेपाली की व्याख्या की जाए तो- एक ऐसा लेखकर, गीतकार और फिल्मकार जो ग्लैमर से मरहूम रहा. मूल रूप से बिहार के बेतिया के रहने वाले गोपाल सिंह नेपाली का जन्म 11 अगस्त 1911 में हुआ था. इस रचाकार के दादा नेपाल से आकर बिहार में बसे थे, इसलिए उन्होंने अपने नाम में नेपाली टाइटल लगा लिया था. गोपाल सिंह नेपाली से जुड़ी सबसे दिलचस्प बात यह है कि वे 10वीं फेल थे, फिर भी लेखन में बुलंदी पर पहुंचे.
1. मशहूर छायावादी लेखक जयशंकर प्रसाद नहाते समय अक्सर एक कविता गुनगुनाते थे, 'पीपल के पत्ते गोल-गोल, कुछ कहते रहते डोल-डोल....' इस कविता को गोपाल सिंह नेपाली ने लिखी थी.
2. पहली बार गोपाल सिंह नेपाली की कविता सुनने के बाद प्रेमचंद ने कहा था- 'बरखुर्दार क्या पेट से ही कविता सीखकर पैदा हुए हो?
3. 10वीं फेल गोपाल सिंह नेपाली ने पत्रकार के तौर पर 4 मैग्जीन के एडिटर के रहे. ये 4 मैग्जीन रतलाम टाइम्स, चित्रपट, सुधा और योगी थीं.
4. पिता की फौज में नौकरी के चलते गोपाल सिंह नेपाली को देश में कई जगह जाने का मौका मिला.
5. दादा बेतिया के राज छापेखाने में काम करते थे, जिसके चलते उनपर बचपन से ही पढ़ाई का दबाव बनाया जाता. इसके बाद भी वे 10वीं के आगे पढ़ाई नहीं कर सके.
6. 1944 में नेपाली फिल्मों में लिखने के लिए मुंबई चले गए. 1963 तक फिल्मों में काम करते रहे. इन्होंने ‘हिमालय फिल्म्स’ और ‘नेपाली पिक्चर्स’ की स्थापना की थी. निर्माता-निर्देशक के तौर पर नेपाली ने तीन फीचर फिल्मों-नजराना, सनसनी और खुशबू का निर्माण भी किया था. जिन फिल्मों के लिए उन्होंने गाने लिखे वो हैं- ‘नाग पंचमी’, ‘नवरात्रि’, ‘नई राहें’, ‘जय भवानी’, ‘गजरे’ और ‘नरसी भगत.’
7. गोपाल सिंह नेपाली के बेटे कुल सिंह नेपाली का दावा है कि ऑस्कर विजेता फिल्म 'स्लमडॉग मिलेनियर' का गाना 'दो घनश्याम...' की रचना है. इसके लिए उन्होंने कोर्ट में याचिका भी दायर की थी.
8. 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान गोपाल सिंह नेपाली ने बॉर्डर पर जाकर सैनिकों के लिए कविता पाठ किया था.
9. गोपाल सिंह नेपाली का ऑरिजनल नाम गोपाल बहादुर सिंह था.
10. गोपाल सिंह नेपाली ने फिल्मों में लगभग 400 धार्मिक गीत लिखे.
1. मशहूर छायावादी लेखक जयशंकर प्रसाद नहाते समय अक्सर एक कविता गुनगुनाते थे, 'पीपल के पत्ते गोल-गोल, कुछ कहते रहते डोल-डोल....' इस कविता को गोपाल सिंह नेपाली ने लिखी थी.
2. पहली बार गोपाल सिंह नेपाली की कविता सुनने के बाद प्रेमचंद ने कहा था- 'बरखुर्दार क्या पेट से ही कविता सीखकर पैदा हुए हो?
3. 10वीं फेल गोपाल सिंह नेपाली ने पत्रकार के तौर पर 4 मैग्जीन के एडिटर के रहे. ये 4 मैग्जीन रतलाम टाइम्स, चित्रपट, सुधा और योगी थीं.
4. पिता की फौज में नौकरी के चलते गोपाल सिंह नेपाली को देश में कई जगह जाने का मौका मिला.
5. दादा बेतिया के राज छापेखाने में काम करते थे, जिसके चलते उनपर बचपन से ही पढ़ाई का दबाव बनाया जाता. इसके बाद भी वे 10वीं के आगे पढ़ाई नहीं कर सके.
6. 1944 में नेपाली फिल्मों में लिखने के लिए मुंबई चले गए. 1963 तक फिल्मों में काम करते रहे. इन्होंने ‘हिमालय फिल्म्स’ और ‘नेपाली पिक्चर्स’ की स्थापना की थी. निर्माता-निर्देशक के तौर पर नेपाली ने तीन फीचर फिल्मों-नजराना, सनसनी और खुशबू का निर्माण भी किया था. जिन फिल्मों के लिए उन्होंने गाने लिखे वो हैं- ‘नाग पंचमी’, ‘नवरात्रि’, ‘नई राहें’, ‘जय भवानी’, ‘गजरे’ और ‘नरसी भगत.’
7. गोपाल सिंह नेपाली के बेटे कुल सिंह नेपाली का दावा है कि ऑस्कर विजेता फिल्म 'स्लमडॉग मिलेनियर' का गाना 'दो घनश्याम...' की रचना है. इसके लिए उन्होंने कोर्ट में याचिका भी दायर की थी.
8. 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान गोपाल सिंह नेपाली ने बॉर्डर पर जाकर सैनिकों के लिए कविता पाठ किया था.
9. गोपाल सिंह नेपाली का ऑरिजनल नाम गोपाल बहादुर सिंह था.
10. गोपाल सिंह नेपाली ने फिल्मों में लगभग 400 धार्मिक गीत लिखे.
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