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This Article is From May 09, 2022

'किस्सा खाकी का': 56 परिवारों के लिए फरिश्ता बनकर आईं गुरप्रीत कौर, जानिए कैसे 3 महीने में लौटी खुशियां

दिल्ली पुलिस के पॉडकास्ट #KissaKhakiKa के इस अंक में सुनाई गई हेड कॉन्स्टेबल गुरप्रीत कौर की कहानी, जिन्होंने सिर्फ 3 महीने में 56 गुमशुदा बच्चों को उनके परिवारों से मिलाकर, बिछड़े लोगों के चेहरे की खुशियां बन गईं.

'किस्सा खाकी का': 56 परिवारों के लिए फरिश्ता बनकर आईं गुरप्रीत कौर, जानिए कैसे 3 महीने में लौटी खुशियां
'किस्सा खाकी का': हेड कॉन्स्टेबल गुरप्रीत कौर जैसे लोग समाज को लौटा रही हैं गुमशुदा खुशियां

डिजिटल दुनिया में अब दिल्ली पुलिस भी एक के बाद एक नए कदम रख रही है. डिजिटलाइजेशन के इस दौर में दिल्ली पुलिस ऑडियो प्रेजेंटेशन के जरिए अपनी बात अब दिल्ली की जनता तक पहुंचा रही है. किस्सा खाकी का, दिल्ली पुलिस पॉडकास्ट का आधिकारिक पॉडकास्ट, जो अपने साप्ताहिक एपिसोड के माध्यम से मानवता, साहस, अपराध और न्याय की कई कहानियों को प्रकाश में ला रहा है, इस रविवार हेड कॉन्स्टेबल गुरप्रीत कौर की कहानी को प्रदर्शित किया जा रहा है, जिन्होंने सिर्फ 3 महीने में 56 गुमशुदा बच्चों को उनके परिवारों से मिलाकर, बिछड़े लोगों के चेहरे की खुशियां बन गईं.

'किस्सा खाकी का' यह पॉडकास्ट प्रसिद्ध मीडिया शिक्षिका वर्तिका नंदा सुना रही हैं, जो अपने रेडियो कार्यक्रम की पहल के माध्यम से जेल सुधारों पर भी काम कर रही हैं. यह ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी उपलब्ध है.

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2021 के दिसंबर में दिल्ली के इलाके से 13 साली की लड़की के लापता होने का मामला आया. बाद में पता चला कि वो अपने एक दोस्त के साथ घर छोड़कर कहीं चली गई है. तलाश शुरू हुई है. कोई जरिया नहीं था, लेकिन हेड कॉन्स्टेबल गुरप्रीत कौर ने समाधान खोज निकाला और दोनों लड़कियों की तलाश का जरिया बनीं हेड कॉन्स्टेबल गुरप्रीत कौर की समझदारी और एक लड़की का इंस्टाग्राम अकाउंट. आज दोनों लड़कियां अपने परिवार के साथ हैं.

दरअसल, 2021 में हेड कॉन्स्टेबल गुरप्रीत कौर को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में पोस्टिंग दी गई. तीन महीने के भीतर गुरप्रीत कौर ने 56 गुमशुदा बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया. इनमें से तीन बच्चों की उम्र 1 से 8 साल के बीच की थी. 

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एक दिन एक और बच्ची की गुमशुदा होने का मामला आया. इस बार गुरप्रीत कौर ने उस बच्ची की स्कूल की डायरी और कॉपीज के जरिए उस आरोपी को ढूंढने की कोशिश की, जो उस बच्ची को लेकर गायब हो गया था. इस तलाश में भी गुरुप्रीत सफल रहीं. इसी तरह पॉस्को एक्ट के तहत भी 7 मामलों को उन्होंने सुलझा दिया. 

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गुरप्रीत कौर ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पंजाबी लिटरेचर में एमए (M.A) किया है. इसके अलावा वे गोल्ड मेडलिस्ट भी रही है. इसके बाद उन्होंने एमफिल (M.Phil) किया, जिसका विषय था, वेस्टर्न पंजाबी लिटरेचर. इसके साथ-साथ दिल्ली पुलिस में शामिल होने की उनकी तमन्ना पूरी हुई. आज गुरप्रीत कौर दिल्ली की सड़कों पर इस बात का खास तौर पर नजर रखती हैं कि कोई बच्चा किडनैप न हो. 

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