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This Article is From Jan 20, 2020

ईरान प्लेन क्रैश में गई पिता की जान, बेटे ने दी भावुक स्पीच, बोले- 'मेरे पापा जिंदा होते तो...' देखें Video

ईरान प्लेन क्रैश में मारे गए पिता के लिए 13 साल के बच्चे ने भावुक स्पीच दी, जिसको सुनकर सभी की आंखें नम हो गईं. 13 वर्षीय रेयान ने ईरान विमान दुर्घटना में मारे गए पिता को एक मजबूत और सकारात्मक व्यक्ति के रूप में याद किया.

ईरान प्लेन क्रैश में गई पिता की जान, बेटे ने दी भावुक स्पीच, बोले- 'मेरे पापा जिंदा होते तो...' देखें Video
ईरान प्लेन क्रैश में गई पिता की जान, बेटे ने दी भावुक स्पीच.

ईरान प्लेन क्रैश में मारे गए पिता के लिए 13 साल के बच्चे ने भावुक स्पीच दी, जिसको सुनकर सभी की आंखें नम हो गईं. 13 वर्षीय रेयान ने ईरान विमान दुर्घटना में मारे गए पिता को एक मजबूत और सकारात्मक व्यक्ति के रूप में याद किया. प्लेन क्रैश में मारे गए मंसूर पौरजम की प्रार्थना सभा में बेटे ने इमोशनल स्पीच दी, जिसको ट्विटर पर खूब शेयर किया जा रहा है.

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न्यूज वेबसाइट टुडे के अनुसार, बुधवार को कनाडा के ओटावा में कार्टन यूनिवर्सिटी में प्रार्थना सभा के दौरान रेयान ने अपने पिता के बारे में बात की. रेयान के पिता मंसूर पौरजम उसी प्लेन में सवार थे जिसे ईरान में मार गिराया गया था. तेहरान में दुर्घटनागस्त हुए यूक्रेन के विमान को गलती से मार गिराए जाने की बात ईरान ने कबूल कर ली थी. 8 जनवरी को हुए इस हादसे में 176 लोगों की मौत हो गई थी. दुर्घटना में कम से कम 57 कनाडाई मारे गए, जिनमें से अधिकांश ईरानी मूल के थे.

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दिल को छू लेने वाली स्पीच में रेयान ने कहा, ''मेरे पिता मंसूर की आवाज या फिर उनके कार्यों में कोई नकारात्मकता नहीं थी. मुझे वो पल कभी याद नहीं रहेगा.'' उन्होंने कहा, ''मैं बुरी चीजों के बारे में बातें नहीं करूंगा, क्योंकि मुझे पता है कि अगर मेरे पिता जीवित होते और अगर किसी और की दुर्घटना में मृत्यु होती तो वो भी भाषण में बुरी बातें नहीं करते. मैं भी नहीं करूंगा.''

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रेयान ने अपनी पिता की प्रार्थना सभा में लोगों का धन्यवाद करते हुए अपनी स्पीच खत्म की और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया गया. ट्विटर पर इस वीडियो को लाखों व्यूज मिल चुके हैं. लोग बच्चे की गरिमा और परिपक्वता की खूब तारीफ कर रहे हैं.

बता दें, 53 वर्षीय मंसूर पौरजम कनाडा के ओटावा में एक डेंटल क्लीनिक में काम करते थे. वह तेहरान में बड़े हुए और कैरलटन विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए कनाडा चले आए. इस प्रार्थना सभा में करीब 200 से ज्यादा लोग पहुंचे थे.

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