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This Article is From Apr 15, 2020

Mumbai के बांद्रा में जमा हुए हजारों मजदूर तो गुस्सा गए हरभजन सिंह, बोले- 'अब एक तरीका ही बचा है...'

Lockdown के बीच घर लौटने के लिए हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर मुंबई के बांद्रा (Bandra) में मंगलवार को जमा हो गए. भीड़ की तस्वीरें देखकर टीम इंडिया के खिलाड़ी हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) गुस्सा गए. उन्होंने बांद्रा की इस घटना को शर्मनाक बताया.

Mumbai के बांद्रा में जमा हुए हजारों मजदूर तो गुस्सा गए हरभजन सिंह, बोले- 'अब एक तरीका ही बचा है...'
लॉकडाउन में Mumbai के बांद्रा में जमा हुए हजारों मजदूर तो गुस्सा गए हरभजन सिंह

देश में जारी लॉकडाउन (Lockdown) के बीच घर लौटने के लिए हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर मुंबई के बांद्रा (Bandra) में मंगलवार को जमा हो गए. इसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुसिस ने लाठीचार्ज किया. इन मजदूरों की मांग थी कि उन्हें उनके घर वापस भेजा जाए. भीड़ की तस्वीरें देखकर टीम इंडिया के खिलाड़ी हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) गुस्सा गए. उन्होंने बांद्रा की इस घटना को शर्मनाक बताया.

हरभजन सिंह ने ट्विटर पर लिखा, ''लोगों को अंदर रखने का एक ही रास्ता है और वो है कर्फ्यू. मुंबई के बांद्रा में जो हुआ वो स्वीकार नहीं किया जा सकता. लोग फिलहाल की स्थिति समझ नहीं पा रहे हैं. अपनी जिंदगी और दूसरों की जिंदगी को घतरे में डाल रहे हैं.'' ट्वीट में उन्होंने पीएम मोदी नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे को टैग किया. 

देश में कोरोना संकट को लेकर लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) जारी है. लॉकडाउन के पहले चरण की समाप्ति आज होनी थी, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए इसे तीन मई तक के लिए बढ़ा दिया गया. पीएम मोदी (PM Modi) ने राष्ट्र के नाम संबोधन में इसकी घोषणा की. बता दें कि लॉकडाउन खत्म होने और अपने घर लौटने की उम्मीद में मुबंई के बांद्रा (Bandra) में भारी संख्या में प्रवासी मजदूर जमा हो गए थे. ये सभी मजदूर अपने घर लौटना चाह रहे थे. लेकिन इस बीच वहां बढ़ती भीड़ के कारण भगदड़ मच गई और इसे नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और मुख्यमंंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने भी मामले को लेकर ट्वीट किया. आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया, 'बांद्रा स्टेशन की मौजूदा स्थिति, या यहां तक कि सूरत में दंगा भी हो रहा है, यह केंद्र सरकार द्वारा प्रवासी श्रमिकों के लिए घर वापस जाने की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं होने का एक परिणाम है. वे भोजन या आश्रय नहीं चाहते, वे घर वापस जाना चाहते हैं.

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