मेगास्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की नई फिल्म 'गुलाबो-सिताबो' (Gulabo Sitabo) से फिर एक बार लोगों की नजर इस मशहूर कठपुतली की जोड़ी पर गई है, जिसे कम्प्यूटर गेम्स आने के बाद लोग भूल ही गए थे. प्रतापगढ़ में एक कायस्थ परिवार के द्वारा इन्हें बनाया गया था, विडम्बना से यह वही जिला हैं जहां से अमिताभ बच्चन के पूर्वज ताल्लुक रखते हैं. राम निरंजन लाल श्रीवास्तव प्रतापगढ़ में नरहरपुर गांव से हैं और प्रयागराज तत्कालीन इलाहाबाद में कृषि संस्थान में कार्यरत थे जहां उन्होंने कठपुतलियों की कला सीखी. 60 के दशक में श्रीवास्तव ने गुलाबो-सिताबो (Gulabo Sitabo) कठपुतली को बनाया और ननद-भाभी के झगड़े के किस्से के रूप में कार्यक्रमों में उनका प्रदर्शन किया. उन्होंने सामाजिक बुराइयों पर छोटी कविताएं भी लिखी जो गुलाबो-सिताबो के कार्यकम की एक हिस्सा थी.
श्रीवास्तव के बाद उनके भतीजे अलख नारायण श्रीवास्तव ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया. उन्होंने इस कला में दूसरे लोगों को भी प्रशिक्षण दिया और इस तरह से गुलाबो-सिताबो लोक-साहित्य का एक अभिन्न हिस्सा बनती चली गईं.
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हर साल दशहरा के अवसर पर श्रीवास्तव अपने पैतृक गांव प्रतापगढ़ में लौट आते हैं और राम लीला मंच का उपयोग कठपुतली के कार्यक्रमों के लिए करते हैं. वे टेलीविजन और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से कठपुतलियों की लोकप्रियता को फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. अलख नारायण श्रीवास्तव कहते हैं, "टीवी और कम्प्यूटर गेम्स के आने के साथ गुलाबो-सिताबो धीरे-धीरे गुमनामी में डुब गई. मैंने इस कला को जीवित रखने का प्रयास किया, लेकिन मुझे आशा है कि यह फिल्म पात्रों को जीवित करेगी."
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सूत्रों के मुताबिक, फिल्म की कहानी एक घर के मालिक और उनके किरायेदार के बीच प्रेम-घृणा के रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है. फिल्म में मकान मालिक के किरदार में अमिताभ बच्चन और किरायेदार के किरदार में आयुष्मान खुराना नजर आएंगे और निश्चित रूप से फिल्म में गुलाबो-सिताबो के शेड्स जरूर होंगे. (इनपुट-आइएएनएस)
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