Ismat Chughtai 107th Birthday: गूगल ने Doodle के जरिए इस्मत चुग़ताई (Google Doodle On Ismat Chughtai) का 107वां जन्मदिन मना रहा है.
Ismat Chughtai 107th Birthday: गूगल ने Doodle के जरिए खुले विचारों के लिए प्रसिद्ध फ़िक्शन लेखिका इस्मत चुग़ताई (Google Doodle On Ismat Chughtai) का 107वां जन्मदिन (Ismat Chughtai Birthday) मना रहा है. गूगल के डूडल में इस्मत चुग़ताई को कुछ लिखते हुए दिखाया जा रहा है. इस्मत चर्चा में उस वक्त आईं जब उनकी कॉन्ट्रोवर्शियल कहानी 'लिहाफ' पब्लिश हुई. इस कहानी के लिए उन्हें कोर्ट के चक्कर तक लगाने पड़ गए. केस लंबा चला और इस्मत चुग़ताई की आखिरकार जीत हुई. उनकी इस कहानी को भारतीय साहित्य में लेस्बियन प्यार की पहली कहानी माना जाता है.
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उर्दू साहित्य में योगदान के लिए उनको कई अवॉर्ड भी मिले. जिसमें द्मश्री, साहित्य अकादमी पुरस्कार भी शामिल है. 1942 में जब यह कहानी अदाब-ए-लतीफ में पहली बार पब्लिश हुई तो इस्मत को कोर्ट केस लड़ना पड़ा. यही नहीं, इस्मत बॉलीवुड में भी काम कर चुकी हैं. आरजू, फरैब, सोने की चिड़िया जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है. इस्मत चुगताई (Ismat Chughtai) को उनकी बेबाक लिखावट के लिए लेडी चंगेज़ खां तक कहा गया. उन्हें यह नाम उर्दू की लेखिका कुर्रतुल ऐन हैदर ने दिया था. चोटें, छुईमुई, कलियां, एक रात, शैतान, टेढी लकीर, जिद्दी, दिल की दुनिया, मासूमा, सैदाई आदि उनकी प्रमुख रचनाएं हैं.
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इस्मत चुग़ताई का जन्म 21 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ था. इस्मत चुग़ताई (Ismat Chughtai) बेबाक लेखिका थी. जिस उम्र में लड़कियां पढ़ाई और घर का काम करती थी. उस उम्र में उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था. कई बार लोगों और खुद उनके घर वालों ने उन्हें लिखने से रोका, मगर इस्मत रुकी नहीं और अपनी कलम को उन्होंने अपनी ताकत बना लिया.
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इस्मत चुग़ताई ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई लेख लिखे, लेकिन उनके लेखों में अश्लीलता के चलते वो लोगों के निशाने पर आ गई थी. साल 1991 में 24 अक्टूबर को इस्मत चुगताई इस दुनिया से रुखसत हुईं. उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली थी.
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