नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना की आज 96वीं जयंती है.
नई दिल्ली:
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना को आज उनकी 96वीं जयंती पर गूगल ने एक डूडल बनाकर याद किया है. डूडल में एक रंगीन और ब्लैक एंड व्हाइट चित्र बनाया गया है जिसमें प्रोफेसर खुराना वैज्ञानिक प्रयोग करते हुए दिखाई दे रहे हैं और साथ में उनकी एक बड़ी-सी तस्वीर बनाई गई है. भारत में नौ जनवरी 1922 को रायपुर (अब पाकिस्तान में) के एक बहुत ही छोटे से कस्बे में जन्मे खुराना अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे.
घुड़सवारी से लेकर निशानेबाजी तक में माहिर मैरी ऐसे बनी 'हंटरवाली'
भारत सरकार ने छात्रवृत्ति प्रदान कर उन्हें शोध कार्यों के लिए इंग्लैंड भेजा. वह वर्ष 1952 से 1960 तक यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया में फैकल्टी रहे जहां उन्होंने ऐसे शोध कार्य किए जिनके लिए उन्हें अमेरिकी वैज्ञानिकों मार्शल डब्ल्यू. नीरेनबर्ग और डॉ. रॉबर्ट डब्लू. रैले के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार दिया गया. इस अनुसंधान से यह पता लगाने में मदद मिली कि कोशिका के आनुवंशिक कूट को ले जाने वाले न्यूक्लिक एसिड न्यूक्लिओटाइड्स कैसे कोशिका के प्रोटीन संश्लेषण (सिंथेसिस) को नियंत्रित करते हैं.
New Year's Eve 2017: घर बैठे यूं करें नए साल का स्वागत, देखें ये 5 फिल्में
उच्च शिक्षा के बाद खुराना भारत लौटे लेकिन उन्हें यहां काम करने के उचित अवसर नहीं मिले जिसके बाद वह वापस इंग्लैंड चले गए. वर्ष 1966 में वह अमेरिका के नागरिक बने और उन्हें नेशनल मेडिकल ऑफ साइंस पुरस्कार दिया गया. उन्होंने स्विट्जरलैंड की ईस्टर एलिजाबेथ सिबलर से शादी की. उनकी पत्नी का वर्ष 2001 में निधन हो गया था. उनकी बेटी एमिली की वर्ष 1979 में मौत हो गई थी. खुराना का नौ नवंबर 2011 को निधन हो गया था. उनके परिवार में बच्चे जूलिया और दवे हैं.
देखें वीडियो- गूगल पर चमका भारतीय छात्र का डूडल
घुड़सवारी से लेकर निशानेबाजी तक में माहिर मैरी ऐसे बनी 'हंटरवाली'
भारत सरकार ने छात्रवृत्ति प्रदान कर उन्हें शोध कार्यों के लिए इंग्लैंड भेजा. वह वर्ष 1952 से 1960 तक यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया में फैकल्टी रहे जहां उन्होंने ऐसे शोध कार्य किए जिनके लिए उन्हें अमेरिकी वैज्ञानिकों मार्शल डब्ल्यू. नीरेनबर्ग और डॉ. रॉबर्ट डब्लू. रैले के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार दिया गया. इस अनुसंधान से यह पता लगाने में मदद मिली कि कोशिका के आनुवंशिक कूट को ले जाने वाले न्यूक्लिक एसिड न्यूक्लिओटाइड्स कैसे कोशिका के प्रोटीन संश्लेषण (सिंथेसिस) को नियंत्रित करते हैं.
New Year's Eve 2017: घर बैठे यूं करें नए साल का स्वागत, देखें ये 5 फिल्में
उच्च शिक्षा के बाद खुराना भारत लौटे लेकिन उन्हें यहां काम करने के उचित अवसर नहीं मिले जिसके बाद वह वापस इंग्लैंड चले गए. वर्ष 1966 में वह अमेरिका के नागरिक बने और उन्हें नेशनल मेडिकल ऑफ साइंस पुरस्कार दिया गया. उन्होंने स्विट्जरलैंड की ईस्टर एलिजाबेथ सिबलर से शादी की. उनकी पत्नी का वर्ष 2001 में निधन हो गया था. उनकी बेटी एमिली की वर्ष 1979 में मौत हो गई थी. खुराना का नौ नवंबर 2011 को निधन हो गया था. उनके परिवार में बच्चे जूलिया और दवे हैं.
देखें वीडियो- गूगल पर चमका भारतीय छात्र का डूडल
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं