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This Article is From Oct 20, 2011

नायक से खलनायक बन गए गद्दाफी

त्रिपोली: लीबिया की जनता ने कभी मुअम्मर गद्दाफी को अपना नायक माना था। वक्त बदला और गद्दाफी की फि़तरत भी बदली, तो बहुत सारे लोगों को अपने इस नायक में खलनायक नजर आने लगा। यही वजह रही कि 42 साल बाद गद्दाफी और उनकी हुकूमत का अंत एक तानाशाह की माफिक हुआ। गद्दाफी का जन्म 1942 में मरूस्थलीय शहर सिरते में हुआ था। बड़े होकर वह सेना में भर्ती हुए। 27 साल की उम्र में गद्दाफी अचानक उस वक्त लीबियावासियों की नजरों में नायक बन गए, जब 1969 में शासक शाह इदरीस के खिलाफ तख्तापलट किया गया। तख्तापलट के बाद गद्दाफी ने लीबिया की सत्ता संभाली तो लोगों ने उनकी अगुवाई में अपने भविष्य के सपने संजोए। हालांकि ये सपने हकीकत में तब्दील नहीं हुए। अपने बिंदास पहनावे और रहनसहन को लेकर गद्दाफी हमेशा में चर्चा में रहे। लीबिया में आज भले ही उनके शासन का पटाक्षेप हो गया हो, लेकिन वषरें तक 60 लाख लीबियावासियों की जिंदगी में किसी न किसी तरह से गद्दाफी की मौजूदगी बनी रही। सत्ता में रहते गद्दाफी ने विश्व समुदाय के रिश्तों के संदर्भ में कई बुरे दौर देखे। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने एक बार उन्हें पागल कुत्ता करार दिया था। गद्दाफी को वर्ष 1988 के पैन एम विमान विस्फोट के लिए भी जिम्मेदार बताया गया था। यह घटना स्कॉटलैंड के लॉकरबी में हुई थी, इसलिए इस घटना को आमतौर पर लॉकरबी विस्फोट के रूप में जाना जाता है। इस विस्फोट में 270 लोग मारे गए थे। वषरें तक गद्दाफी के अधीनस्थ लीबिया इस घटना में अपनी संलिप्तता से इंकार करता रहा, लेकिन 2003 में उसने इसकी जिम्मेदारी स्वीकारी और पीड़ित परिजनों के लिए एक करोड़ डालर की राशि देने पर भी सहमत हुआ। गद्दाफी ने अपने सभी जनसंहारक हथियारों को भी खत्म करने का ऐलान किया था। उन्होंने खुद को लीबिया के आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में पेश किया। उन्होंने लीबिया में शासन करने के दौरान हर तरह से सख्ती बरती। यहां तक की मीडिया पर भी सरकारी नियंत्रण बना रहा। गद्दाफी पर अपने सैकड़ों लोगों को कैद करने और कई को मौत की सजा देने का भी आरोप था। उनके शासन के दौरान यातनाएं दिए जाने और लोगों के लापता होने की खबरें आती रहती थीं। गद्दाफी अपनी सख्त जुबान के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान टीवी पर दिए अपने एक संबोधन में कहा था एक-एक इंच, प्रत्येक कमरे और घर में जाकर कार्रवाई करो। वैश्विक मंच पर गद्दाफी का मुख्य ध्यान अरब जगत पर था और बाद में उन्होंने अपना ध्यान अफ्रीका की ओर भी केंद्रित किया। उन्होंने मिस्र और इस्राइल के बीच 1978 में हुए कैंप डेविड शांति समझौते के विरोध में अरब जगत को लामबंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह अमेरिका विरोधी रुख के लिए भी जाने जाते थे। गद्दाफी के रहने का अंदाज पूरी तरह कबायली था। वह विदेश दौरे पर भी पंचसितारा होटलों में नहीं रूकते थे, बल्कि एक भव्य तंबू डलवाते थे और उसमें रुकते थे। उनके सुरक्षा घेरे में सशस्त्र महिलाएं होती थीं।

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