हर साल देश के लाखों युवा बेहतर करियर और अवसरों की तलाश में अपने शहर छोड़कर दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों का रुख करते हैं. आईटी, स्टार्टअप और कॉरपोरेट नौकरियों का बड़ा हिस्सा इन्हीं शहरों में केंद्रित है, इसलिए यह पलायन स्वाभाविक माना जाता है. लेकिन एक स्टार्टअप फाउंडर ने इस सोच को ही गलत बताते हुए सोशल मीडिया पर ऐसी राय रख दी, जिसने बहस छेड़ दी है.
'20s में मेट्रो मत चुनो'
व्हाइट डस्ट के फाउंडर रोहित आर्यन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए युवाओं को सलाह दी कि वे अपने 20s में दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु जैसे शहरों में रहने का विकल्प न चुनें. उन्होंने लिखा, कि युवावस्था में जीवन आपको महानगरों में जाने का मौका जरूर देगा, लेकिन उस रास्ते को चुनना जरूरी नहीं है.
सफलता का मेट्रो से कोई रिश्ता नहीं
रोहित आर्यन ने साफ किया कि उनकी सलाह का मतलब यह नहीं है कि मेट्रो शहरों में कोई समस्या है. बल्कि उनका मानना है कि सफलता को महानगरों से जोड़कर देखना ही गलत सोच है. उनके मुताबिक, अपने ही शहर में रहकर काम करना, शांति से जीवन जीना और परिवार के पास रहना लंबे समय में ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. उन्होंने कहा, कि परिवार के साथ रहकर मानसिक संतुलन, भावनात्मक सहारा और स्थिरता मिलती है, जो किसी भी करियर के लिए जरूरी है.
Unpopular opinion:
— Rohit Aryan (@RohitAryannn) December 30, 2025
In your 20s, life will give you a chance to move to or choose Delhi, Mumbai, Bangalore, or any other city. Don't choose any of them. Be in your hometown, earn and live peacefully. Live close to or with your family. It's not that these cities have problems; it's…
सोशल मीडिया पर बंटी राय
इस सलाह के सामने आते ही सोशल मीडिया पर तीखी बहस शुरू हो गई है. कई लोगों ने इसे व्यावहारिक और सटीक बताया, तो कई ने इससे असहमति जताई. कुछ यूज़र्स का कहना था कि 20s वह उम्र होती है, जब व्यक्ति को जोखिम लेना चाहिए, खुद पर निर्भर बनना चाहिए और घर से बाहर निकलकर दुनिया को समझना चाहिए. एक यूज़र ने लिखा, कि घर से दूर रहना व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाता है और जीवन की कई जरूरी सीख देता है.
परिवार के साथ रहने के फायदे भी गिनाए गए
वहीं कई लोगों ने रोहित आर्यन की बात का समर्थन करते हुए कहा कि सफलता किसी शहर के नाम से नहीं आती. उनके अनुसार, घर का सुकून, परिवार का साथ और मानसिक शांति मेट्रो शहरों की भागदौड़ से कहीं ज्यादा मूल्यवान है. कुछ यूज़र्स ने लिखा, कि महानगरों की ज़िंदगी को जरूरत से ज्यादा रोमांटिक बना दिया गया है, जबकि असल में वहां तनाव और अकेलापन ज्यादा होता है.
20s में जोखिम या स्थिरता?
यह बहस एक बड़े सवाल की ओर इशारा करती है, क्या 20s में जोखिम लेना जरूरी है या स्थिर जीवन ज्यादा बेहतर विकल्प है? क्या करियर की सफलता के लिए शहर बदलना अनिवार्य है, या अपने ही शहर से भी ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है? इस सवाल का जवाब हर व्यक्ति के हालात और सोच पर निर्भर करता है, लेकिन रोहित आर्यन की सलाह ने युवाओं को एक बार फिर सोचने पर जरूर मजबूर कर दिया है.
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