मिलिए पाकिस्तान को धूल चटाने वाले सैम मानेकशॉ से, जानें उनके बारे में खास बातें

3 अप्रैल, 1914 को अमृतसर के एक पारसी परिवार में जन्मे सैम मानेकशॉ एकमात्र ऐसे सेनाधिकारी थे, जिन्हें सेवानिवृत्ति से पहले ही पांच सितारा रैंक तक पदोन्नति दी गई थी.

मिलिए पाकिस्तान को धूल चटाने वाले सैम मानेकशॉ से, जानें उनके बारे में खास बातें

मानेकशॉ ने 7 जून 1969 को भारत के 8वें चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ का पद ग्रहण किया.

खास बातें

  • मानेकशॉ ने 1969 को भारत के 8वें चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ का पद ग्रहण किया.
  • 1971 में उन्हीं के नेतृत्व में भारत-पाक युद्ध हुआ.
  • 1973 को में उन्हें फील्ड मार्शल का पद दिया गया.
नई दिल्ली:

3 अप्रैल, 1914 को अमृतसर के एक पारसी परिवार में जन्मे सैम मानेकशॉ एकमात्र ऐसे सेनाधिकारी थे, जिन्हें सेवानिवृत्ति से पहले ही पांच सितारा रैंक तक पदोन्नति दी गई थी. अमृतसर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद मानेकशॉ नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में दाखिल हुए, और देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच के लिए चुने गए 40 छात्रों में से एक थे, जहां से कमीशन पाकर वह भारतीय सेना में भर्ती हुए.

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'सैम बहादुर' के नाम से मशहूर सैम मानेकशॉ ने 7 जून 1969 को भारत के 8वें चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ का पद ग्रहण किया, और उसके बाद दिसंबर, 1971 में उन्हीं के नेतृत्व में भारत-पाक युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ. सैम मानेकशॉ के देशप्रेम व देश के प्रति निस्वार्थ सेवा के चलते उन्हें वर्ष 1972 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से नवाज़ा गया, तथा जनवरी, 1973 को में उन्हें फील्ड मार्शल का पद दिया गया, और इसी माह वह सेवानिवृत्त हो गए.

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सैम मानेकशॉ देश के एकमात्र सेनाधिकारी थे, जो सेवानिवृत्ति से पहले ही पांच सितारा रैंक तक पहुंच गए थे. वृद्धावस्था में उन्हें फेफड़े संबंधी रोग हो गया था, और 27 जून, 2008 को तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित सैन्य अस्पताल में उनका देहावसान हो गया. 


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