मिसाइल या उल्का के गिरने पर धरती की ऊपरी परत और रेत सख्त हो जाते हैं और इन्हें धरती के अंदर घुसने से रोकने की कोशिश करते हैं। यह जानकारी एक नए अध्ययन से सामने आई है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह बताने की कोशिश की है कि किस तरह जमीन में मिसाइल घुसाने के लिए इसे तेज गति से दागे जाने की कोशिश उतनी कारगर नहीं हो पाती।
अध्ययन के एक लेखक और अमेरिका के येल विश्वविद्यालय से जुड़े अबराम क्लार्क ने कहा, 'कल्पना करें कि आप भीड़ भरे कमरे की तरफ से गुजरने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप तेजी से गुरजने की कोशिश करेंगे, तब लोग रास्ते से तितर-बितर होने लगेंगे, आपको काफी दबाव लगाना पड़ेगा और गुस्से से भरे लोगों का भी सामना करना होगा।' यही प्रक्रिया जमीन के अंदर भी होती है, जब धरती पर तेज गति से मिसाइल और उल्का गिरता है।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में कृत्रिम मृदा और रेत पर तेज गति से होने वाले प्रभाव के तरीके का इजाद किया और इसके बाद मृदा व रेत के अंदर होने वाली हलचल को देखा। उन्होंने पाया कि रेत व मृदा हमले के दौरान सख्त हो गए थे। यह अध्ययन फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।
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