दिल्ली के चिड़ियाघर (Delhi Zoo) के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि उनको बिलकुल नहीं पता कि उनके पास कितने जानवर हैं. उन्होंने हाई कोर्ट से पशु जनगणना के लिए थोड़ा और समय मांगा है. Timesofindia की खबर के मुताबिक, हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पशु जनगणना पुलिस प्रोटेक्शन में किया जाएगा, क्योंकि चिड़ियाघर के अधिकारी पशु गणना को रोकने के लिए जनगणना टीम को रोक रहे हैं.
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कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट में दिल्ली जूलॉजी पार्क के खिलाफ पिटीशन दाखिल की हैं. पिटीशन में बताया गया है कि चिड़ियाघर के कर्मचारी जानवरों को एक्सपायर दवाइयां उपलब्ध कराने, मौत की गिनती बदलने और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बदलाव करके डेटा से छेड़छाड़ कर रहे है.
हाईकोर्ट ने कहा- 'इस नेशनल चिड़ियाघर में नियमों की अनदेखी की जा रही है, रिकॉर्ड्स के साथ छेड़खानी हो रही है और चिड़ियाघर के अधिकारी जांच में सहयोग नहीं दे रहे हैं. चिड़ियाघर में मरने वाले जानवरों की संख्या भी छिपाई जा रही है. ये सभी बातें इस राष्ट्रिय चिड़ियाघर में चल रही घृणास्पद कामों की तरफ इशारा कर रही है.'
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पिछले कई सालों में कई ऐसी रिपोर्ट्स आ चुकी हैं जिसमें बताया गया है कि चिड़ियाघर के लोगों ने फर्जी रिपोर्ट्स, रिकॉर्ड्स के साथ छेड़छाड़ और जानवरों की मौतों को कम दिखाया गया है. चिड़ियाघर के अफसरों ने हाईकोर्ट से पशु जनगणना के लिए चार हफ्ते मांगे थे. लेकिन हाईकोर्ट ने उनको 2 हफ्ते दिए हैं. अगर दो हफ्ते में पशु जनगणना नहीं दिखाई गई तो बड़ा एक्शन लिया जाएगा.
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