गुजरात की गाय, जिसका विवाह किया जा रहा है।
अहमदाबाद:
अहमदाबाद के एक व्यक्ति विजय परसाना अपनी गाय की शादी भावनगर के एक बैल से करवा रहे हैं और इस शादी में हजारों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। एक तरफ जहां इंसानों की शादी में दिखावे के खर्चे कम करने को लेकर कई जगह सामाजिक मुहिम चल रही है वहां गाय की शादी में ऐसे खर्चे को लेकर सवाल उठ रहे हैं। विजय परसाना का कहना है कि वे गाय और गौवंश के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
गाय नहीं रहेगी तो संकट आएगा
विजय परसाना ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि 'यह नया कॉन्सेप्ट है, क्योंकि कभी किसी ने गाय की शादी नहीं देखी। खाली दूध के लिए लोग इसका उपयोग करते हैं। जब मां का दूध छूटता है तब गाय का दूध काम में आता है। यह दूध स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। गाय के दूध, गोमूत्र और गोबर पर मैंने ढाई साल तक रिसर्च भी किया है।' उनका कहना है कि 'गाय नहीं रहेगी तो पृथ्वी पर काफी संकट आएगा। खेतों में ढेर सारी दवाइयां डाली जा रही हैं। जब तक गोबर नहीं डलेगा खेतों को फायदा नहीं होगा। इंसानों को गाय का दूध ही पीना चाहिए, इसलिए मुझे लगा कि गौमाता को प्रमोट करना चाहिए। लोगों को यह मैसेज देना चाहता हूं कि गाय को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। गाय इंसानी स्वास्थ्य और खेत के लिए बहुत उपयोगी है, इसलिए गाय रखनी चाहिए।'
दो हजार साल में कभी नहीं हुआ ऐसा आयोजन
गाय की शादी पर हो रहे व्यय के सवाल पर विजय परसाना का कहना है कि 'ऐसी शादी में खर्च का कोई हिसाब नहीं रखा जा सकता। गाय के लिए तो जीवन भी चला जाए तो कम है। गाय के लिए कुछ भी कर सकता हूं। हमने पांच हजार लोगों को इस आयोजन में आमंत्रित किया है। फिलहाल तीन हजार लोग आ चुके हैं। हम हवन कर रहे हैं। दो हजार सालों में ऐसा कोई हवन नहीं हुआ है। हवन के बाद शाम को गोधूलि बेला में धूमधाम से शादी की जाएगी।'
आजादी के बाद बीमारियां बढ़ीं, गाय घटीं
आयोजन में शामिल भागवत ऋषि ने बताया कि 'गाय के विवाह का उद्देश्य लोगों का ध्यान आकर्षित करना है। लोगों को पता चलना चाहिए कि जब देश आजाद हुआ था तब गायों की संख्या और खेत ज्यादा थे। उस समय व्यसन और बीमारियां कम थीं। लेकिन आज 69 साल बाद बीमारियां और व्यसन ज्यादा हैं, गाय और खेतों की तादाद घट गई है। इससे साफ हो जाता है कि गाय हमारे लिए कितनी आवश्यक है।'
गाय नहीं रहेगी तो संकट आएगा
विजय परसाना ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि 'यह नया कॉन्सेप्ट है, क्योंकि कभी किसी ने गाय की शादी नहीं देखी। खाली दूध के लिए लोग इसका उपयोग करते हैं। जब मां का दूध छूटता है तब गाय का दूध काम में आता है। यह दूध स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। गाय के दूध, गोमूत्र और गोबर पर मैंने ढाई साल तक रिसर्च भी किया है।' उनका कहना है कि 'गाय नहीं रहेगी तो पृथ्वी पर काफी संकट आएगा। खेतों में ढेर सारी दवाइयां डाली जा रही हैं। जब तक गोबर नहीं डलेगा खेतों को फायदा नहीं होगा। इंसानों को गाय का दूध ही पीना चाहिए, इसलिए मुझे लगा कि गौमाता को प्रमोट करना चाहिए। लोगों को यह मैसेज देना चाहता हूं कि गाय को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। गाय इंसानी स्वास्थ्य और खेत के लिए बहुत उपयोगी है, इसलिए गाय रखनी चाहिए।'
दो हजार साल में कभी नहीं हुआ ऐसा आयोजन
गाय की शादी पर हो रहे व्यय के सवाल पर विजय परसाना का कहना है कि 'ऐसी शादी में खर्च का कोई हिसाब नहीं रखा जा सकता। गाय के लिए तो जीवन भी चला जाए तो कम है। गाय के लिए कुछ भी कर सकता हूं। हमने पांच हजार लोगों को इस आयोजन में आमंत्रित किया है। फिलहाल तीन हजार लोग आ चुके हैं। हम हवन कर रहे हैं। दो हजार सालों में ऐसा कोई हवन नहीं हुआ है। हवन के बाद शाम को गोधूलि बेला में धूमधाम से शादी की जाएगी।'
आजादी के बाद बीमारियां बढ़ीं, गाय घटीं
आयोजन में शामिल भागवत ऋषि ने बताया कि 'गाय के विवाह का उद्देश्य लोगों का ध्यान आकर्षित करना है। लोगों को पता चलना चाहिए कि जब देश आजाद हुआ था तब गायों की संख्या और खेत ज्यादा थे। उस समय व्यसन और बीमारियां कम थीं। लेकिन आज 69 साल बाद बीमारियां और व्यसन ज्यादा हैं, गाय और खेतों की तादाद घट गई है। इससे साफ हो जाता है कि गाय हमारे लिए कितनी आवश्यक है।'
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