ब्रेन सर्जरी की फाइल फोटो (फोटो: रॉयटर्स)
नई दिल्ली:
जब डॉक्टर उसके शरीर के सबसे संवेदनशील हिस्से से ट्यूमर निकाल रहे थे तब 10 साल की वह लड़की अपने अंकल के फोन पर अपना फेवरेट गेम खेलने में मस्त थी. ऑपरेशन जारी था और वह पूरे होशोहवास में थी और हाथ-पैरों को इस तरह मूव कर रही थी मानो अपने डॉक्टरों को यह यकीन दिला रही हो कि वो जो भी कर रहे हैं बिलकुल ठीक है.
पढ़ें: हर साल देश में 2500 बच्चे हो जाते हैं ब्रेन ट्यूमर के शिकार
जी हां, पांचवीं क्लस में पढ़ने वाली भरतनाट्यम डांसर नंदिनी की बात हो रही है जिसे अचानक चक्कर आए और फिर उसे चेन्नई के एसआईएमएस अस्पाल में भर्ती कराया गया. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रेन स्कैन करने पर पता चला कि नंदिनी के दिमाग के उस हिस्से में ट्यूमर है जो चेहरे, हाथ और पैर समेत शरीर के बाएं हिस्से के मूवमेंट को कंट्रोल करता है. अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ रूपेश कुमार ने नंदिनी के घरवालों को बताया कि अगर ट्यूमर और बढ़ा तो नंदिनी को पैरालिसिस हो सकता है और उसकी जान जाने का भी खतरा है. लिहाजा घरवाले ऑपरेशन के लिए तैयार हो गए.
पढ़ें: एम्स के डॉक्टरों ने किडनी से निकाला 5 किलो का ट्यूमर
अकसर ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन के दौरान Craniotomy की जाती है, जिसमें मरीज को बेहोश करने के बाद स्पेशल टूल की मदद से खोपड़ी की हड्डी के डिस्क को हटाया जाता है ताकि डॉक्टर दिमाग तक पहुंच सके. डॉक्टर रूपेश के मुताबिक, 'मैं इस पुराने तरीके से ऑपरेशन नहीं करना चाहता था. ट्यूमर बच्ची के बेहद संवदेनशील हिस्से में था और अगर गलती से भी हम किसी गलत नस को छू देते तो उसका आधा शरीर पैरालिसिस हो जाता.' ऐसे में डॉक्टरों ने Craniotomy के ज़रिए ही ऑपरेशन करने का फैसला लिया लेकिन बच्ची को बेहोश नहीं किया गया. डॉ रुपेश ने कहा, 'इस तरह मुझे यह पता चल जाता कि कौन सी नस शरीर के किस हिस्से को कंट्रोल कर रही है.'
पढ़ें: डॉक्टरों ने बच्चे की रीढ़ से निकाला एक फुट लंबा ट्यूमर
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बेहोश किए बिना अब तक केवल दो फीसदी वयस्क मरीजों की ही ब्रेन सर्जरी हुई है, लेकिन बच्चों के मामले में कभी ऐसा नहीं किया गया. सर्जरी के दौरान मरीजों को दर्द नहीं होता क्योंकि दिमाग के न्यूरॉन्स दर्द ग्राही नहीं होते. शुरू में बच्ची के घरवाले थोड़ा हिचक रहे थे लेकिन फिर डॉक्टरों ने उन्हें समझाने के लिए उसके एक अंकल की मदद ली जो खुद भी एक डॉक्टर हैं. बच्ची के अंकल के मुताबिक, 'जब डॉक्टर उसका ट्यूमर निकाल रहे थे तब मैं वहीं ऑपरेशन थिएटर में था. नंदिनी ऑपरेशन के दौरान मेरे फोन में कैंडी क्रश खेल रही थी. उससे जब-जब हाथ-पैर हिलाने के लिए कहा गया उसने तब-तब वैसा ही किया. वह बहादुर लड़की है.'
ऑपरेशन के बाद नंदिन चल फिर पा रही थी और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया है. नंदिनी ने डॉक्टरों को यह भी बताया है कि वह कुछ ही दिनों में फिर से भरतनाट्यम की प्रैक्टिस शुरू कर देगी.
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जी हां, पांचवीं क्लस में पढ़ने वाली भरतनाट्यम डांसर नंदिनी की बात हो रही है जिसे अचानक चक्कर आए और फिर उसे चेन्नई के एसआईएमएस अस्पाल में भर्ती कराया गया. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रेन स्कैन करने पर पता चला कि नंदिनी के दिमाग के उस हिस्से में ट्यूमर है जो चेहरे, हाथ और पैर समेत शरीर के बाएं हिस्से के मूवमेंट को कंट्रोल करता है. अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ रूपेश कुमार ने नंदिनी के घरवालों को बताया कि अगर ट्यूमर और बढ़ा तो नंदिनी को पैरालिसिस हो सकता है और उसकी जान जाने का भी खतरा है. लिहाजा घरवाले ऑपरेशन के लिए तैयार हो गए.
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अकसर ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन के दौरान Craniotomy की जाती है, जिसमें मरीज को बेहोश करने के बाद स्पेशल टूल की मदद से खोपड़ी की हड्डी के डिस्क को हटाया जाता है ताकि डॉक्टर दिमाग तक पहुंच सके. डॉक्टर रूपेश के मुताबिक, 'मैं इस पुराने तरीके से ऑपरेशन नहीं करना चाहता था. ट्यूमर बच्ची के बेहद संवदेनशील हिस्से में था और अगर गलती से भी हम किसी गलत नस को छू देते तो उसका आधा शरीर पैरालिसिस हो जाता.' ऐसे में डॉक्टरों ने Craniotomy के ज़रिए ही ऑपरेशन करने का फैसला लिया लेकिन बच्ची को बेहोश नहीं किया गया. डॉ रुपेश ने कहा, 'इस तरह मुझे यह पता चल जाता कि कौन सी नस शरीर के किस हिस्से को कंट्रोल कर रही है.'
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आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बेहोश किए बिना अब तक केवल दो फीसदी वयस्क मरीजों की ही ब्रेन सर्जरी हुई है, लेकिन बच्चों के मामले में कभी ऐसा नहीं किया गया. सर्जरी के दौरान मरीजों को दर्द नहीं होता क्योंकि दिमाग के न्यूरॉन्स दर्द ग्राही नहीं होते. शुरू में बच्ची के घरवाले थोड़ा हिचक रहे थे लेकिन फिर डॉक्टरों ने उन्हें समझाने के लिए उसके एक अंकल की मदद ली जो खुद भी एक डॉक्टर हैं. बच्ची के अंकल के मुताबिक, 'जब डॉक्टर उसका ट्यूमर निकाल रहे थे तब मैं वहीं ऑपरेशन थिएटर में था. नंदिनी ऑपरेशन के दौरान मेरे फोन में कैंडी क्रश खेल रही थी. उससे जब-जब हाथ-पैर हिलाने के लिए कहा गया उसने तब-तब वैसा ही किया. वह बहादुर लड़की है.'
ऑपरेशन के बाद नंदिन चल फिर पा रही थी और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया है. नंदिनी ने डॉक्टरों को यह भी बताया है कि वह कुछ ही दिनों में फिर से भरतनाट्यम की प्रैक्टिस शुरू कर देगी.
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