अब तक हम यही मानते आए हैं कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच एक साफ़ दूरी है. लेकिन वैज्ञानिकों की एक नई खोज ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है. शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि पृथ्वी का वायुमंडल इतना फैला हुआ है कि उसके अंश चंद्रमा की सतह तक पहुंच रहे हैं. यह खोज न सिर्फ अंतरिक्ष विज्ञान के लिए चौंकाने वाली है, बल्कि भविष्य में चांद पर इंसानी बसावट के लिए भी बेहद अहम मानी जा रही है.
क्या सच में धरती की हवा चांद तक पहुंचती है?
वैज्ञानिकों ने Apollo मिशन के दौरान लाए गए दशकों पुराने चंद्रमा की मिट्टी (Lunar Soil Samples) का दोबारा अध्ययन किया. इस बार अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से जांच की गई. नतीजे हैरान करने वाले थे.
Apollo सैंपल्स में क्या मिला?
चंद्रमा की मिट्टी में ऐसे तत्व पाए गए जो आमतौर पर किसी ग्रह के वायुमंडल से जुड़े होते हैं- जैसे पानी (Water), नाइट्रोजन (Nitrogen), कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide), हीलियम (Helium), आर्गन (Argon). वैज्ञानिकों के मुताबिक, इतनी मात्रा को सिर्फ सौर पवन (Solar Wind) से नहीं समझाया जा सकता.
वैज्ञानिकों ने क्या निष्कर्ष निकाला?
गहराई से जांच करने पर वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि पृथ्वी के वायुमंडल की बाहरी परत (Geocorona) चंद्रमा की कक्षा तक फैली हुई है. इस परत से निकलने वाले बेहद सूक्ष्म गैस कण धीरे-धीरे चंद्रमा की सतह पर जमा होते रहते हैं. यानि, धरती और चांद के बीच एक लगातार अदृश्य संपर्क बना हुआ है.
गैसें धरती से कैसे निकलती हैं?
1-पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल के कुछ कण गुरुत्वाकर्षण से बच निकलते हैं.
2- सौर विकिरण (Solar Radiation) और मैग्नेटिक फील्ड इसमें मदद करते हैं.
3- ये कण अंतरिक्ष में फैलते हुए चंद्रमा तक पहुंच जाते हैं.
4- लाखों-करोड़ों सालों में चंद्रमा इन गैसों को जमा कर लेता है.
इस खोज का क्या मतलब है?
यह खोज कई बड़े सवालों के जवाब देती है, जैसे- चंद्रमा की सतह पर मौजूद वाष्पशील तत्व कहां से आए. दूसरा- पृथ्वी और चंद्रमा पूरी तरह अलग-थलग नहीं हैं. तीसरा- ग्रहों के वायुमंडल कैसे अंतरिक्ष में फैलते हैं.
क्या भविष्य में चांद पर इंसानी बसावट आसान होगी?
वैज्ञानिकों का मानना है कि- ये ट्रेस गैसें भविष्य के लूनर बेस के लिए संसाधन बन सकती हैं. चंद्रमा पर पानी और अन्य तत्वों की उपलब्धता बढ़ सकती है. लंबी अवधि की मानव मौजूदगी की योजना बनाने में मदद मिलेगी.
आगे क्या करेंगे वैज्ञानिक?
• आने वाले चंद्र मिशनों में इन गैसों की और सटीक माप की जाएगी
• पृथ्वी-चंद्रमा वायुमंडलीय संबंधों को और बेहतर समझा जाएगा
• स्पेस वेदर और ग्रहों के विकास के नए मॉडल तैयार होंगे
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