इटानगर:
पूर्वोत्तर के शहरों में अगर आपको जींस और शर्ट पहने, मोटरसाइकिल पर घूमते हुए बौद्ध भिक्षु नजर आएं, तो आश्चर्य में मत पड़ जाइएगा। बदलते जमाने के साथ बौद्ध युवा भिक्षुओं का रूप भी बदल रहा है। हालांकि हर सुबह लगभग साढ़े चार बजे अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी कामेंग के थुबचोग गैसलिंग मठ से इन भिक्षुओं की प्रार्थना की आवाज पूरे वातावरण में गूंजती है, जिसके बारे में उनका मानना है कि यह उन्हें सही राह पर ले जाएगी और उनके जीवन को प्रकाशित कर देगी। मठ के एक युवा भिक्षु जैंबे दोरजी को अपने पास एक टीवी और मोटरसाइकिल रखने से कोई गुरेज नहीं है, हालांकि जहां तक कपड़ों की बात है, वह अपनी ड्रेस से संतुष्ट हैं। उनके एक साथी लोबसांग त्सेरिंग को हालांकि जींस, जैकेट और स्वेटर पहनना बहुत पसंद है। मठ की जिंदगी के बारे में पूछे जाने पर पिछले नौ साल से यहां रह रहे 20 वर्षीय भिक्षु तेंजिंग शेराब ने कहा, मैं बुद्ध के रास्ते पर चल कर सही दिशा में जा रहा हूं। मैं अपने जीवन को प्रकाशित करने के बारे में सोचता हूं। मैं जीवन की चक्की में नहीं पिसना चाहता। पहले के विपरीत बौद्ध भिक्षुओं को अब खुद को गर्म रखने के लिए गर्म कपड़े पहनने की अनुमति दे दी जाती है।
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