Atal Bihari Vajpayee Death: अटल बिहारी वाजपेयी का वो भाषण जिसने सभी को हिलाकर रख दिया, बोले- मैं मरने से नहीं डरता

भारतीय राजनीति के अजातशत्रु कहे जाने वाले बीजेपी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee Death) का दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में गुरुवार को निधन हो गया.

Atal Bihari Vajpayee Death: अटल बिहारी वाजपेयी का वो भाषण जिसने सभी को हिलाकर रख दिया, बोले- मैं मरने से नहीं डरता

Atal Bihari Vajpayee का वो भाषण जिसने सभी को हिलाकर रख दिया.

भारतीय राजनीति के अजातशत्रु कहे जाने वाले बीजेपी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee Death) का दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में गुरुवार को निधन हो गया. एम्स की तरफ से जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार बीते 24 घंटे में उनकी हालात और बिगड़ी थी. लगभग दो महीने से अटल बिहारी AIIMS में भर्ती थे. उन्हें (Atal Bihari Vajpayee Health) लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था. अटल जी के घर के बाहर धारा 144 लगाई गई है. अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया है. अटल बिहारी वाजपेयी की कई ऐसे भाषण हैं जिसकी चर्चा अभी भी होती है. उनका एक भाषण ऐसा था जिसने सभी को हिलाकर रख दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था- 'मैं मरने से नहीं डरता, डरता हूं तो सिर्फ बदनामी से डरता हूं.' उनका ये वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. 

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अटल बिहारी वाजपेयी पर विरोधी पार्टियों ने आरोप लगाया था कि उनको सत्ता का लोभ है. जिसके बाद उन्होंने लोकसभा में खुलकर बात की थी और सभी को हिलाकर रख दिया था. उन्होंने न सिर्फ विरोधियों को जवाब दिया, बल्कि भगवान राम का दिया हुआ श्लोक पढ़ते हुए कहा था- भगवान राम ने कहा था कि 'मैं मरने से नहीं डरता, डरता हूं तो सिर्फ बदनामी से डरता हूं.' जिसके बाद विरोधियों ने कभी उन पर ऐसा आरोप नहीं लगाया. उन्होंने ये भाषण 28 मई 1996 में आत्मविश्वास प्रस्ताव के दौरान दिया था.

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बता दें, अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया है. वे पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे हैं. अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी हैं. भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही है. वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे.

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आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वजपेयी लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे हैं. वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे हैं और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था. सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया.


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