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This Article is From Nov 04, 2016

कलेक्टर ने दिया विदाई का यादगार तोहफा, ड्राइवर को पीछे की सीट पर बिठाकर दफ्तर तक चलाई कार

कलेक्टर ने दिया विदाई का यादगार तोहफा, ड्राइवर को पीछे की सीट पर बिठाकर दफ्तर तक चलाई कार
अकोला (महाराष्ट्र): पहली नज़र में यह कार आपको शादी के लिए सजी हुई दिखाई देती है, लेकिन फिर नज़र पड़ती है उस लालबत्ती पर, जो इसकी छत पर सजी है, और इस बात का सबूत है कि यह कार किसी वीआईपी की है... लेकिन फिर आपको दिखाई देता है, ड्राइवर की सफेद वर्दी पहने एक शख्स पीछे की सीट पर ठीक उसी तरह दरवाज़ा खोलकर बिठाया जाता है, जैसे किसी वीआईपी को... अब आप हैरान होने लगे हैं...

आपके दिमाग में आता है कि कोई वीआईपी अपने सरकारी वाहन का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन यकीन मानिए, इस कहानी में ऐसा हरगिज़ नहीं हुआ है... दरअसल, सफेद वर्दी में जो 'वीआईपी' इस कार में पीछे की सीट पर बैठा है, वह दिगंबर थाक हैं, जो लगभग 35 साल से महाराष्ट्र के अकोला में तैनात हुए कलेक्टरों की कारें चला रहे हैं, और यह दिगंबर का काम पर आखिरी दिन है...

इस कहानी का सबसे दिलचस्प और दिल को छू लेने वाला पहलू यह है कि जो शख्स दिगंबर को पीछे की सीट पर सम्मान के साथ बिठाकर ले जा रहा है, वह दरअसल उनके बॉस और अकोला के कलेक्टर जी. श्रीकांत हैं, जिन्होंने दिगंबर को विदाई के मौके पर यह अनूठा तोहफा देने का विचार किया... इसके बाद दफ्तर में भी दिगंबर के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया...

सरकारी ड्राइवर के तौर पर 58-वर्षीय दिगंबर थाक अब तक जिले के 18 कलेक्टरों को दफ्तर तक ले जाते रहे हैं...

कलेक्टर जी. श्रीकांत ने कहा, "लगभग 35 साल तक उन्होंने राज्य को अपनी सेवाएं दीं, और सुनिश्चित किया कि कलेक्टर रोज़ाना दफ्तर तक सुरक्षित पहुंचें... मैं इस दिन को उनके लिए यादगार बना देना चाहता था, और जो कुछ उन्होंने किया, उसके लिए धन्यवाद भी कहना चाहता था..."

जहां तक दिगंबर थाक का सवाल है, सेवानिवृत्ति से पहले काम पर आखिरी दिन उन्हें सचमुच यही एहसास हुआ कि ज़िन्दगी में अभी बहुत कुछ बाकी है...

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