नई दिल्ली:
भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कन्डेय काटजू ने दावा किया कि 90 प्रतिशत भारतीय ‘बेवकूफ’ होते हैं, जिन्हें शरारती तत्वों द्वारा धर्म के नाम पर आसानी से गुमराह किया जा सकता है।
काटजू ने कहा, ‘मैं कह सकता हूं कि 90 प्रतिशत भारतीय बेवकूफ होते हैं। आप लोगों के दिमाग में भेजा नहीं होता... आपको आसनी से बहकाया जा सकता है।’
उन्होंने कहा कि दिल्ली में महज 2000 रुपये के लिए सांप्रदायिक दंगा भड़काया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपको महज इतना करना है कि किसी पूजा के स्थान के प्रति असम्मान दिखाते हुए कोई शरारतपूर्ण काम कर दें और लोग एक-दूसरे से झगड़ना शुरू कर देते हैं।
काटजू के अनुसार, ‘आप पागल लोग आपस में झगड़ने लग जाएंगे और इस बात को समझेंगे भी नहीं कि इसके पीछे कुछ भड़काने वाले लोग हैं।’ उन्होंने कहा कि 1857 से पहले देश में कोई सांप्रदायिकता नहीं थी, लेकिन आज स्थिति बिल्कुल बदल गई है।
उन्होंने कहा, ‘आज 80 प्रतिशत हिन्दू सांप्रदायिक हैं और 80 प्रतिशत मुस्लिम सांप्रदायिक हैं। मैं आपको बता रहा हूं कि यह कड़वी सच्चाई है। यह कैसे हो गया कि 150 साल में आप आगे जाने की बजाय पीछे चले गए, क्योंकि अंग्रेज आपके भीतर जहर भरते रहे।’
काटजू ने कहा कि 1857 के बाद लंदन से आने वाली नीति यही थी कि इस देश पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी है कि हिन्दू और मुस्लिम आपस में लड़ते रहें। उन्होंने कहा कि यह दुष्प्रचार चल रहा है कि हिन्दी हिन्दुओं की भाषा है और उर्दू मुस्लिमों की। ‘हमारे पूर्वजों ने भी उर्दू पढ़ी है, लेकिन आपको बेवकूफ बनाना बहुत आसान है। आप मूर्ख है, लिहाजा आपको आसानी से बेवकूफ बनाया जा सकता है।’
काटजू ने कहा कि वह ये कड़ी बातें इसलिए कह रहे हैं कि भारतीय इस पूरे खेल को समझें और बेवकूफ नहीं बने रहें।
काटजू ने कहा, ‘मैं कह सकता हूं कि 90 प्रतिशत भारतीय बेवकूफ होते हैं। आप लोगों के दिमाग में भेजा नहीं होता... आपको आसनी से बहकाया जा सकता है।’
उन्होंने कहा कि दिल्ली में महज 2000 रुपये के लिए सांप्रदायिक दंगा भड़काया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपको महज इतना करना है कि किसी पूजा के स्थान के प्रति असम्मान दिखाते हुए कोई शरारतपूर्ण काम कर दें और लोग एक-दूसरे से झगड़ना शुरू कर देते हैं।
काटजू के अनुसार, ‘आप पागल लोग आपस में झगड़ने लग जाएंगे और इस बात को समझेंगे भी नहीं कि इसके पीछे कुछ भड़काने वाले लोग हैं।’ उन्होंने कहा कि 1857 से पहले देश में कोई सांप्रदायिकता नहीं थी, लेकिन आज स्थिति बिल्कुल बदल गई है।
उन्होंने कहा, ‘आज 80 प्रतिशत हिन्दू सांप्रदायिक हैं और 80 प्रतिशत मुस्लिम सांप्रदायिक हैं। मैं आपको बता रहा हूं कि यह कड़वी सच्चाई है। यह कैसे हो गया कि 150 साल में आप आगे जाने की बजाय पीछे चले गए, क्योंकि अंग्रेज आपके भीतर जहर भरते रहे।’
काटजू ने कहा कि 1857 के बाद लंदन से आने वाली नीति यही थी कि इस देश पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी है कि हिन्दू और मुस्लिम आपस में लड़ते रहें। उन्होंने कहा कि यह दुष्प्रचार चल रहा है कि हिन्दी हिन्दुओं की भाषा है और उर्दू मुस्लिमों की। ‘हमारे पूर्वजों ने भी उर्दू पढ़ी है, लेकिन आपको बेवकूफ बनाना बहुत आसान है। आप मूर्ख है, लिहाजा आपको आसानी से बेवकूफ बनाया जा सकता है।’
काटजू ने कहा कि वह ये कड़ी बातें इसलिए कह रहे हैं कि भारतीय इस पूरे खेल को समझें और बेवकूफ नहीं बने रहें।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं