इस्लामाबाद:
पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच तनातनी के बीच राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी अपनी दुबई यात्रा बीच में छोड़कर पाकिस्तान लौट आए हैं। अपनी सेहत की जांच और एक शादी में शरीक होने का हवाला देकर जरदारी कल दुबई गए थे, जिसके बाद पाकिस्तान में तख्तापलट की अफवाहों को और हवा मिली।
'जियो टीवी' के मुताबिक इसके बाद जरदारी अपनी यात्रा में कटौती करके पाकिस्तान लौट आए। जरदारी इससे पहले 6 दिसंबर को इलाज के लिए दुबई गए थे और करीब दो हफ्ते बाद पाकिस्तान लौटे थे। वैसे पाकिस्तान में तख्तापलट की आशंका अब धीरे धीरे कम होती दिख रही है, क्योंकि देश−विदेश में सैनिक शासन के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। पाकिस्तानी मीडिया भी तख्तापलट का जोरदार विरोध कर रहा है।
गिलानी और जनरल कियानी के बीच समझौता करवाने की भी अटकलें हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग−कायदे आजम के प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन इसमें मध्यस्थ बनकर सामने आए हैं, जो मुशर्रफ के शासनकाल में प्रधानमंत्री हुआ करते थे। उन्हें सेना के अफसरों के साथ करीबी रिश्ते के लिए जाना जाता है। चौधरी शुजात हुसैन की पार्टी गठबंधन सरकार का हिस्सा है, ऐसे में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने उनसे मौजूदा गतिरोध खत्म कराने को कहा है।
कहा जा रहा है कि पाक सेना अगर मेमोगेट मामला वापस ले ले और सुप्रीम कोर्ट पर रिकंशीलिएशन ऑर्डर लागू करवाने के लिए दबाव नहीं डाले, तो प्रधानमंत्री गिलानी टकराव खत्म करने को तैयार हो सकते हैं।
'जियो टीवी' के मुताबिक इसके बाद जरदारी अपनी यात्रा में कटौती करके पाकिस्तान लौट आए। जरदारी इससे पहले 6 दिसंबर को इलाज के लिए दुबई गए थे और करीब दो हफ्ते बाद पाकिस्तान लौटे थे। वैसे पाकिस्तान में तख्तापलट की आशंका अब धीरे धीरे कम होती दिख रही है, क्योंकि देश−विदेश में सैनिक शासन के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। पाकिस्तानी मीडिया भी तख्तापलट का जोरदार विरोध कर रहा है।
गिलानी और जनरल कियानी के बीच समझौता करवाने की भी अटकलें हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग−कायदे आजम के प्रमुख चौधरी शुजात हुसैन इसमें मध्यस्थ बनकर सामने आए हैं, जो मुशर्रफ के शासनकाल में प्रधानमंत्री हुआ करते थे। उन्हें सेना के अफसरों के साथ करीबी रिश्ते के लिए जाना जाता है। चौधरी शुजात हुसैन की पार्टी गठबंधन सरकार का हिस्सा है, ऐसे में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने उनसे मौजूदा गतिरोध खत्म कराने को कहा है।
कहा जा रहा है कि पाक सेना अगर मेमोगेट मामला वापस ले ले और सुप्रीम कोर्ट पर रिकंशीलिएशन ऑर्डर लागू करवाने के लिए दबाव नहीं डाले, तो प्रधानमंत्री गिलानी टकराव खत्म करने को तैयार हो सकते हैं।
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