जर्मनी (Germany) ने दुनिया की पहली हाइड्रोजन ऊर्जा (Hydrogen Energy) से संचालित होने वाली ट्रेनों (Trains) का उद्घाटन किया है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक इस शुरुआत के साथ ही सरकार ने पर्यावरण (Environment) को संरक्षित करने वाली यात्राओं के दरवाजे खोल दिए हैं. ब्रेमरवोर्दे , लोअर सैक्सोनी इलाके में 14 कॉर्डिला आईलिंट ट्रेन फ्यूल सेल प्रोपल्शन तकनीक से चलेंगी. इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इसे मामले में रेलवे मालिकों LVNG और अल्सटम (Alstom) के बीच यह ट्रेनें बनाने के लिए 93 मिलियन यूरो का समझौता हुआ है.
Alstom के CEO ने एक बयान में कहा, " कार्बन उत्सर्जन रहित यातायात सतत पोषणीय भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सबसे ज़रूरी लक्ष्य है." इन 14 में से 5 ट्रेनों ने बुधवार को अपनी यात्रा शुरु की. यह रेलगाड़ियां इस साल के अंत तक 15 डीजल रेलगाड़ियों की जगह लेंगी. केवल एक किलो हाइड्रोजन ईंधन करीब 4.5 किलोग्राम डीजल ईंधन के बराबर उर्जा देता है.
यह हाइड्रोजन से चलने वाली रेलगाड़ियां 100 किलोमीटर तक चलने वाली डीजल की रेलगाड़ियों की जगह लेंगी जो हैंबर्ग के पास कुक्सहाफन( Cuxhaven),ब्रेमरहाफन (Bremerhaven), ब्रेमरवोर्दे (Bremervoerde), और बुक्सटेहूड (Buxtehude) शहरों को जोड़ती हैं.
इस प्रोजक्ट में एल्बे- वेसर रेलवे एंड ट्रांसपोर्ट बिजनेस और द गैस एंड इंजीनियरिंग कंपनी लिंडे भी शामिल हैं जो इन रेलगाड़ियों को चलाने के लिए ज़िम्मेदार होगें.
सीएनएन के अनुसार, इन रेलगाड़ियों से कोई प्रदूषण नहीं होगा और आवाज भी बेहद कम होगी. इसमें केवल भाप और वाष्पीकृत पानी निकलेगा. यह रेलगाड़ियां 1000 किलोमीटर तक चल सकती हैं. यानि एक बार हाइड्रोजन का टैंक भरवाने के बाद, सारा दिन नेटवर्क के ट्रैक पर दौड़ सकती हैं.
इसके बाद भी इस रूट पर एक हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन बनाया जा रहा है. यह ट्रेन 140 किलोमीटर प्रतिघंटे तक रफ्तार पकड़ सकती हैं.
अल जज़ीरा के अनुसार, हाइड्रोजन की सप्लाई के दिक्कत के बादवजूद यह दुनिया में पहली बार हुआ है और यह हरित रेलवे की दिशा में बड़ा कदम है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं