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19 साल का वो पायलट, जिसने हिटलर के जर्मनी को धुआं- धुआं कर दिया था, 103 साल की उम्र में हुई मौत

US 100th Bombardment Group: जॉन हैम्पटन लूकडू केवल 19 वर्ष के थे, जब पर्ल हार्बर पर जापानी हमले के तुरंत बाद अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में कूद गया था और वो इस छोटी सी उम्र में अमेरिकी वायु सेना में भर्ती हो गए थे.

19 साल का वो पायलट, जिसने हिटलर के जर्मनी को धुआं- धुआं कर दिया था, 103 साल की उम्र में हुई मौत
द्वितीय विश्व युद्ध के वेटरन पायलट जॉन हैम्पटन लूकडू का निधन
  • जॉन लूकडू का 103 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे US के 100वें बॉम्बार्डमेंट ग्रुप के अंतिम जीवित पायलट थे
  • इस ग्रुप के पायलटों ने नाजी कब्जे वाले यूरोप में खतरनाक मिशनों के दौरान भारी नुकसान झेला लेकिन पीछे नहीं हटे
  • लूकडू ने 19 की उम्र में द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिकी वायु सेना में भर्ती होकर बी-17 हेवी बॉम्बर्स उड़ाए थे
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एक ऐसा पायलट जो 19 साल की उम्र में हिटलर और उसकी आर्मी से नहीं डरा, एक ऐसा पायलट जो अपने देश के लिए जान हथेली पर लेकर दुश्मन देश के ठिकानों को उड़ाने से नहीं डरा… द्वितीय विश्व युद्ध के वेटरन पायलट जॉन हैम्पटन लूकडू ने 1 सितंबर, 2025 को 103 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया. अमेरिका ने अब अपने 100वें बॉम्बार्डमेंट ग्रुप के अंतिम जीवित पायलट को भी खो दिया है. 

100वें बॉम्बार्डमेंट ग्रुप अपने आप में अनूठा और जाबांज था. इस ग्रूप के पायलटों ने B-17 हेवी बॉम्बर्स फाइटर प्लेन पर बैठकर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के कब्जे वाले क्षेत्र के ऊपर मिशनों में उड़ान भरी थी, अंदर तक घुसकर वार किया था.

जॉन एच. लूकडू, जिसे दुनिया ने लकी के नाम से जाना

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जॉन एच. लूकडू को लकी के नाम से जाना जाता था. लकी का जन्म 16 मार्च, 1922 को अमेरिकी राज्य टेनेसी के चाटानोगा में हुआ था. उनके पिता एक स्टॉकब्रोकर थे, और उनकी मां घर संभालती थीं.

लकी केवल 19 वर्ष के थे, जब पर्ल हार्बर पर जापानी हमले के तुरंत बाद अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में कूद गया था और वो इस छोटी सी उम्र में अमेरिकी वायु सेना में भर्ती हो गए थे.

उन्हें सेना के नए लंबी दूरी के हेवी बॉम्बर्स (बम बरसाने वाले प्लेन) बी-17 को उड़ाने का काम सौंपा गया था. इस प्लने को पनडुब्बी बेस, कारखानों, रेल यार्ड और अंततः जर्मन शहरों पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया था. यह प्लेन दक्षिण-पूर्व ब्रिटेन से नाजी-कब्जे वाले यूरोप की ओर जाते थे और जर्मनी के कब्जे वाले ठिकानों पर हमला करते थे.

रिपोर्ट के अनुसार एक साल से अधिक के ट्रेनिंग के बाद, उन्होंने जून 1943 में अपना पहला मिशन उड़ाया. उनकी यूनिट आठवीं वायु सेना का एक हिस्सा थी और उसे तबतक "ब्लडी 100th" निकनेम मिल गया था. इसकी वजह थी कि नाजियों के हाथों बड़े स्तर पर अपने विमानों और पायलट का नुकसान झेलनने के बावजूद 100वें बॉम्बार्डमेंट ग्रुप नाजियों को नाकों चने चबवा रहा था, वो पीछे नहीं हटा. अपने 306 मिशनों के दौरान इस यूनिट ने 757 पायलट और 229 विमानों को खो दिया था.

लकी लूकडू का सबसे खतरनाक मिशन 8 अक्टूबर 1943 को आया, जब अमेरिकी सेना ने जर्मन बंदरगाह शहर ब्रेमेन पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि उस समय लूकडू जैसे बी-17 पायलट औसतन 11 मिशन करने तक ही जी पाते थे. यानी 11 मिशन करते करते उनकी मिशन में मौत हो जाती थी. इन पायलटों के लिए यह जंग मौत का फरमान जैसी थी क्योंकि उन्हें अपने टूर पर 25 मिशन उड़ाने होते थे. लेकिन लकी के पास मौत इतनी आसानी से कैसे आती.

लकी ने चार महीने बाद अपने 25वें मिशन के साथ अपना टूर खत्म किया. लकी के ट्रेनिंग ग्रूप में 40 पायलट थे. उनमें से केवल 4 पायलट ही अपनी 25वीं उड़ान तक पहुंचे, बाकि सबकी मौत हो गई.

लकी कहा करते थे "मैं हीरो नहीं हूं, मैं बस एक जंग का सर्वाइवर हूं."

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