अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से जुड़े मामले में बुधवार को अपना फैसला सुनाएगी. पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत द्वारा जाधव को दबाव वाले कबूलनामे के आधार पर मौत की सजा सुनाने को भारत ने आईसीजे में चुनौती दी है. पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में बंद कमरे में सुनवाई के बाद जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (49) को मौत की सजा सुनाई थी. उनकी सजा पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. नीदरलैंड में द हेग के ‘पीस पैलेस' में बुधवार को भारतीय समयानुसार शाम साढे छह बजे सार्वजनिक सुनवाई होगी जिसमें अदालत के प्रमुख न्यायाधीश अब्दुलकावी अहमद यूसुफ फैसला पढ़कर सुनाएंगे.
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इस चर्चित मामले में फैसला आने से करीब पांच महीने पहले न्यायाधीश यूसुफ की अध्यक्षता वाली आईसीजे की 15 सदस्यीय पीठ ने भारत और पाकिस्तान की मौखिक दलीलें सुनने के बाद 21 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. इस मामले की कार्यवाही पूरी होने में दो साल और दो महीने का वक्त लगा. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि पाकिस्तान ने आईसीजे में इस मामले में अपना पक्ष जोरदार तरीके से रखा है. सरकारी ‘एसोसिएट प्रेस ऑफ पाकिस्तान' ने फैसल के हवाले से कहा, '‘पाकिस्तान अच्छे की आशा कर रहा है और वह आईसीजे का फैसला स्वीकार करेगा.''
भारत ने नयी दिल्ली को जाधव तक राजनयिक पहुंच देने से बार बार इंकार करके पाकिस्तान द्वारा वियना संधि के प्रावधानों का खुलेआम उल्लंघन के लिए आठ मई 2017 को आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था. आईसीजे की दस सदस्यीय पीठ ने 18 मई 2017 को पाकिस्तान को जाधव की मौत की सजा पर अमल से रोक दिया था. आईसीजे में सुनवाई के दौरान, भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपना अपना पक्ष रखा था और जवाब दिये थे. इस मामले में भारत का पक्ष रखने वाले हरीश साल्वे ने पाकिस्तान की कुख्यात सैन्य अदालतों के कामकाज पर सवाल उठाए थे और दबाव वाले कबूलनामे पर आधारित जाधव की मौत की सजा निरस्त करने का संयुक्त राष्ट्र की इस अदालत से अनुरोध किया था.
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गौरतलब है कि कुछ दिन पहले पाकिस्तान ने कहा था कि कुलभूषण जाधव को कंसुलर एक्सेस की सुविधा देने की भारत की मांग इस समय उपयुक्त नहीं है क्योंकि यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में लंबित है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने यहां मीडिया से कहा कि भारत ने जाधव के पासपोर्ट के बारे में पाकिस्तान के सवालों का अब तक जवाब नहीं दिया है. जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल, 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में मृत्युदंड सुनाया था. पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षाबलों ने जाधव को तीन मार्च, 2016 को बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था जहां वह ईरान से कथित रूप से घुस गये थे.
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उधर, भारत का कहना था कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया जहां वह नौसना से सेवानिवृत्ति के बाद अपने कारोबार के सिलसिले में गये थे. मीडिया ब्रीफिंग के दौरान फैसल ने कहा कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में है और ऐसे में कंसुलर एक्सेस का प्रश्न इस समय उपयुक्त नहीं है. भारतीय संविधान से अनुच्छेद 370 खत्म करने की मांग के मुददे पर पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘अनुच्छेद को 370 को खत्म करना संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का उल्लंघन होगा. हम इसे किसी भी सूरतहाल में स्वीकार नहीं करेंगे और कश्मीरी भी इसे स्वीकार नहीं करेंगे.''
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उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान नवंबर, 2019 में सिख धर्म के संस्थापक गुरूनानक देव की 550वीं जयंती पर करतारपुर गलियारे को चालू करने के लिए कटिबद्ध है. उन्होंने कहा था कि यदि गलियारा नहीं खुलता है तो भारत ही जिम्मेदार होगा. प्रवक्ता ने कहा, ‘‘लेकिन बैठकें होनी महत्वपूर्ण है ताकि करतारपुर से संबंधित सभी मुद्दों का निराकरण हो. सैद्धांतिक रूप से हम इसे खोलने को तैयार हैं जैसा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने घोषणा की है लेकिन अब यदि भारत इस पर राजी होता है तभी यह संभव होगा. '' भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पाकिस्तान ने इन खबरों पर उसकी चिंता का अबतक जवाब नहीं दिया है कि उसने (पाकिस्तान ने) उस समिति में कुछ विवादास्पद तत्व नियुक्त किये हैं जो करतारपुर गलियारे से संबद्ध होने वाली है. (इनपुट भाषा से)
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