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This Article is From Sep 29, 2016

क्यों अमेरिका के लिए 'बुरी ख़बर' साबित हो सकता है इस्लामिक स्टेट का पतन...?

क्यों अमेरिका के लिए 'बुरी ख़बर' साबित हो सकता है इस्लामिक स्टेट का पतन...?
कैम्ब्रिज, मैसाच्यूसेट्स: अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) के एक शीर्ष अधिकारी की मानें तो जैसे-जैसे मध्यपूर्व (मिडिल ईस्ट) में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस, यानी इस्लामिक स्टेट की पकड़ कम होती जा रही है, अमेरिका के लिए अगले दो साल में आईएस से प्रेरित हमलों का खतरा कहीं ज़्यादा बढ़ गया है.

एफबीआई की नेशनल सिक्योरिटी ब्रांच के एक्ज़ीक्यूटिव असिस्टेंट डायरेक्टर माइकल स्टेनबैक ने मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने आयोजित एक सुरक्षा कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, "मुझे पूरा भरोसा है कि वर्ष 2017 और 2018 में हमारी धरती पर हालात पहले के मुकाबले कहीं ज़्यादा खतरनाक होंगे, क्योंकि जैसे-जैसे हम आईएसआईएस को समेटते जाएंगे, वे पलटवार करेंगे..."

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आईएसआईएस ने वर्ष 2014 में सीरिया और इराक के कुछ इलाकों में कब्ज़ा जमा लिया था, लेकिन उसके बाद से अब तक अमेरिका और उसकी मदद से हुए हमलों में वह काफी हिस्सा गंवा भी चुका है, हालांकि सीरियाई धरती में तेल के कुओं पर अब भी उसी का कब्ज़ा बरकरार है.

माइकल स्टेनबैक ने साथ ही यह भी कहा कि हम पर हमलों की साज़िशें रची जाएंगी, इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि वे कामयाब भी होंगे. उन्होंने याद दिलाया कि अमेरिकी सुरक्षाधिकारियों ने सिर्फ वर्ष 2015 के दौरान आईएसआईएस से प्रेरित लगभग 70 हमलों को नाकाम किया है.

वैसे, सीरिया में लंबे अरसे से गृहयुद्ध लड़ रहे आईएसआईएस के बहुत-से हमलों को अमेरिका झेलता रहा है. इनमें जून माह में ऑरलैन्डो के एक नाइटक्लब में हुआ हमला भी शामिल है, जिसमें 49 लोगों को मार डाला गया था, और इसके अलावा पिछले साल दिसंबर में कैलिफोर्निया के सैन बर्नार्डिनो स्थित सोशल सर्विस एजेंसी में 14 लोगों की हत्या कर दी गई थी.

माइकल स्टेनबैक ने इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया कि अमेरिका में आतंकी हमले बेहद कम रहे हैं, और कहा कि वर्ष 2015 के दौरान आतंकवादी कार्रवाई समझे जाने वाले हमलों में अमेरिकी धरती पर सिर्फ 19 लोग मारे गए, जबकि दुनियाभर में कुल 21 अमेरिकन नागरिकों को जान गंवानी पड़ी.

उन्होंने कहा कि ऐसी कोई उम्मीद आमतौर पर नहीं की जाती है कि अमेरिकी धरती पर होने वाली हर हत्या को रोका जा सकता है, लेकिन आतंकवाद के संदर्भ में उम्मीदें इतनी ऊंची हैं कि एक भी आतंकी हमला कामयाब हो जाने की सूरत में उसे नाकामी मान लिया जाता है.

© Thomson Reuters 2016

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