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Explained: क्या है सोमालीलैंड विवाद, इजरायल के एक फैसले ने क्यों मचा दी अफ्रीका से चीन तक खलबली?

इजरायल ने हाल ही में सोमालीलैंड को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी है. उसके फैसले ने अरब लीग, खाड़ी सहयोग परिषद, अफ्रीकी यूनियन और इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) देशों के बाद अब चीन को भी इजरायल के खिलाफ खड़ा कर दिया है.

Explained: क्या है सोमालीलैंड विवाद, इजरायल के एक फैसले ने क्यों मचा दी अफ्रीका से चीन तक खलबली?
  • इजरायल ने अफ्रीका के सोमालीलैंड को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देकर दुनिया में हलचल मचा दी है
  • इजरायल का यह कदम सामरिक दृष्टि से अहम है क्योंकि सोमालीलैंड अदन की खाड़ी और लाल सागर के पास है
  • इसका अरब लीग, खाड़ी सहयोग परिषद, अफ्रीकी यूनियन, OIC के बाद अब चीन ने भी कड़ा विरोध किया है
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इजरायल ने वैश्विक कूटनीति में ऐसा दांव चला है, जिसने अफ्रीका से लेकर मध्य-पूर्व और चीन तक खलबली मचा दी है. हाल ही में इजरायल ने अफ्रीकी महाद्वीप में स्थित सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे दी है. ऐसा करने वाला इजरायल दुनिया का पहला देश है. लेकिन इस एक फैसले ने अरब लीग, खाड़ी सहयोग परिषद, अफ्रीकी यूनियन और इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) के 21 सदस्य देशों के बाद अब चीन को भी इजरायल के खिलाफ खड़ा कर दिया है. आइए बताते हैं ये सोमालीलैंड है कहां, इजरायल जैसा देश इसके पीछे क्यों लगा है और बाकी देशों को इस पर इतनी आपत्ति क्यों हैं? 

सोमालीलैंड का विवाद क्या है?

  • सोमालीलैंड अफ्रीकी महाद्वीप के 'हॉर्न ऑफ अफ्रीका' में स्थित एक इलाका है. 
  • इसने 1991 में गृहयुद्ध के दौरान सोमालिया से अलग होकर खुद को स्वतंत्र देश घोषित कर लिया था. 
  • पिछले तीन दशकों से इसके पास अपनी मुद्रा, पासपोर्ट, पुलिस और लोकतांत्रिक सरकार है. 
  • इस सबके बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तक इसे किसी देश ने मान्यता नहीं दी थी.
सोमालीलैंड के राष्ट्रपति अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाही और इजरायल के पीएम नेतन्याहू

इजरायल और सोमालीलैंड का समझौता

26 दिसंबर को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और सोमालीलैंड के राष्ट्रपति अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाही ने एक ऐतिहासिक घोषणा पत्र पर दस्तखत किए. इसके साथ ही इजरायल सोमालीलैंड में कृषि, स्वास्थ्य और तकनीक में सहयोग बढ़ाने का वादा किया. इजरायल के इस कदम के पीछे के 3 बड़े रणनीतिक कारण जानकार बता रहे हैं. बीबीसी के मुताबिक, इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज और एक्सपर्ट्स का कहना है कि इजरायल का यह फैसला महज कूटनीतिक नहीं बल्कि सामरिक लिहाज से भी काफी अहम है.

  • भौगोलिक रूप से अहमः सोमालीलैंड की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वह अदन की खाड़ी और लाल सागर के मुहाने पर है. 
  • हूती विद्रोहियों की काटः इजरायल को इस इलाके में हूती विद्रोहियों के बढ़ते खतरों को देखते हुए किसी मजबूत सहयोगी की जरूरत है. ऐसे में सोमालीलैंड उसे एक ऑपरेशनल बेस प्रदान कर सकता है.
  • ईरानी प्रभाव को कम करना: अफ्रीका में ईरान के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए इजरायल रणनीतिक बंदरगाहों जैसे कि बेरबेरा पोर्ट तक अपनी पहुंच चाहता है.
  • नया सहयोगी: अरब देशों के साथ तनाव के बीच इजरायल अफ्रीका में नए गैर-अरब सहयोगियों की तलाश कर रहा है.
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मुस्लिम देशों को क्यों है आपत्ति?

इजरायल के इस फैसले के विरोध में इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) के 21 सदस्यों देशों ने साझा बयान जारी किया है, जिनमें सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, इराक, इजिप्ट, पाकिस्तान और कतर, ओमान आदि शामिल हैं. ओआईसी का कहना है कि इजरायल का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून और यूएन चार्टर का उल्लंघन है. किसी भी देश के एक हिस्से को अलग से मान्यता देना क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करता है और यह इजरायल की विस्तारवादी सोच को दिखाता है.

अब चीन ने विरोध में क्या कहा है?

सोमवार को चीन ने भी इस पर कड़ा ऐतराज जताया. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि सोमालीलैंड का मुद्दा सोमालिया का आंतरिक मामला है. हम किसी भी ऐसे कदम का विरोध करते हैं जो सोमाली क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करता हो. किसी को भी अपने स्वार्थ के लिए दूसरे देश के भीतर अलगाववादी ताकतों को समर्थन नहीं देना चाहिए. चीन सोमालीलैंड को इजरायल द्वारा स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र के रूप में औपचारिक मान्यता देने और उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने के समझौते का कड़ा विरोध करता है. 

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