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अमेरिका-रूस की सऊदी वाली मीटिंग में क्या हुआ? जेलेंस्की को छोड़ क्या सबको साध लिया गया

US-Russia Meeting In Saudi Arabia: रूस-अमेरिका बैठक से पहले ज़ेलेंस्की ने कहा, "हम एक संप्रभु देश हैं. हमारे बिना अगर कोई समझौता होता है तो हम इस समझौते को स्वीकार नहीं कर पाएंगे." जानिए यूक्रेन को क्यों मानना पड़ेगा अब समझौता...

अमेरिका-रूस की सऊदी वाली मीटिंग में क्या हुआ? जेलेंस्की को छोड़ क्या सबको साध लिया गया
US-Russia Meeting In Saudi Arabia: सऊदी अरब में अमेरिका और रूस अपने संबंधों को सुधारने पर भी बात कर रहे हैं.

US-Russia Meeting In Saudi Arabia: यूक्रेन युद्ध को लेकर सऊदी अरब में अमेरिका और रूस की मीटिंग समाप्त हो गई है. इस मीटिंग पर दुनिया भर की निगाह थी. मीटिंग के बाद रूस और अमेरिका की तरफ से जो कहा गया है, उसके बाद लग रहा है कि युद्ध जल्द खत्म हो सकता है. फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों को अमेरिका ने खुश होने का मौका दे दिया है. हालांकि, इस मीटिंग के बाद जेलेंस्की के लिए अब अमेरिका की बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा. 

मीटिंग के बाद क्या बोला अमेरिका

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सऊदी अरब में रूस और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित बैठक रियाद के समय अनुसार मंगलवार शाम समाप्त हुई. बैठक में यूक्रेन पर विस्तार से चर्चा हुई. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शीर्ष स्तरीय बैठक के तुरंत बाद अंतरराष्ट्रीय प्रेस से बात की.  विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बताया, "आज एक लंबी और मुश्किल यात्रा का पहला कदम है, लेकिन महत्वपूर्ण है. इस बैठक में तय किया गया कि कोई भी समझौता ऐसा होना चाहिए, जो इसमें सभी लोगों के लिए स्वीकार्य हो. इसमें यूक्रेन और यूरोप के हमारे पार्टनर्स के अलावा रूस भी शामिल है."

रुबियो ने जोर देकर कहा कि डोनाल्ड ट्रंप इस युद्ध का शीघ्र समाधान चाहते हैं और उन्होंने सभी पक्षों से यूक्रेन में वर्षों से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए शीघ्रता से आगे बढ़ने का आग्रह किया है. इस संबंध में एक निष्पक्ष, स्थायी और टिकाऊ समझौते का आह्वान करते हुए, रुबियो ने कहा कि सभी पक्षों को समझौते के लिए रियायतें देनी होगी.

ट्रंप-पुतिन मीटिंग अभी तय नहीं

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि अमेरिका और रूस दोनों यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने के लिए समझौता करने के लिए विशेष टीमों की नियुक्ति करेंगे. रूस वर्तमान में यूक्रेन के लगभग पांचवें या 20 प्रतिशत क्षेत्र पर नियंत्रण रखता है.

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अमेरिकी टीम ने कहा कि रूसी अधिकारियों के साथ बातचीत वाशिंगटन और मॉस्को के बीच संबंधों को सुधारने पर भी केंद्रित थी. दोनों देशों के बीच संबंध जो बाइडेन प्रशासन के तहत काफी ठंडे हो गए थे. हालांकि, उन्होंने कहा कि पुतिन और ट्रंप के बीच होने वाली संभावित शिखर वार्ता के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं की गई है.

रूस ने मीटिंग पर क्या कहा

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जैसे ही बैठक समाप्त हुई, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अमेरिका ने स्थिति पर मास्को की स्थिति को बेहतर ढंग से समझा.उन्होंने बैठक को बहुत उपयोगी बताया. उन्होंने कहा, ''हमने सिर्फ सुना ही नहीं बल्कि एक-दूसरे को सुना, और मेरे पास यह विश्वास करने का कारण है कि अमेरिकी पक्ष ने हमारी स्थिति को बेहतर ढंग से समझा है.'' उन्होंने कहा कि मॉस्को ने वाशिंगटन को बता दिया है कि वह नाटो के किसी भी सदस्य को युद्धविराम के तहत यूक्रेन में किसी भी सेना को भेजने का विरोध करता है, चाहे वह राष्ट्रीय ध्वज के तहत हो या यूरोपीय संघ के ध्वज के तहत. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "यह हमारे लिए बिल्कुल अस्वीकार्य है."

लावरोव ने यह भी उल्लेख किया कि वाशिंगटन ने मॉस्को पर वर्तमान में लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का संकेत दिया है. उन्होंने कहा, "दोनों देशों की पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक सहयोग के विकास में इन बाधाओं को दूर करने में गहरी रुचि थी."रूसी वार्ताकार और पुतिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने चार घंटे से अधिक की चर्चा के बाद संवाददाताओं से कहा कि यह उन सभी सवालों पर एक बहुत ही गंभीर बातचीत थी, जिन पर हम बात करना चाहते थे. हालांकि उन्होंने मॉस्को की मांगों के बारे में कोई विशेष विवरण नहीं दिया. 

नाटो पर रूस के कड़े तेवर

आज रियाद में बैठक में रूस ने अपनी मांगों को सख्त करने का संकेत दिया. मॉस्को में एक प्रेस ब्रीफिंग में, विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा कि नाटो के लिए यूक्रेन को सदस्य के रूप में स्वीकार नहीं करना पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि नाटो को 2008 में बुखारेस्ट में एक शिखर सम्मेलन में किए गए वादे को अस्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए कि कीव भविष्य में, किसी तारीख पर नाटो में शामिल होगा, अन्यथा यह समस्या यूरोपीय महाद्वीप के वातावरण में जहर घोलती रहेगी.

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हालांकि, यूक्रेन के ज़ेलेंस्की ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि कीव के लिए नाटो सदस्यता यूक्रेन के लिए अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा करने का एकमात्र तरीका है.रियाद की बैठक में यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया गया था.  आज रियाद में रूस-अमेरिका बैठक से पहले ज़ेलेंस्की ने कहा, "हम एक संप्रभु देश हैं. हमारे बिना अगर कोई समझौता होता है तो हम इस समझौते को स्वीकार नहीं कर पाएंगे."

जेलेंस्की के अरमानों पर पड़ा पानी

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जेलेंस्की ने पूरी कोशिश की है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ में विवाद पैदा कर यूरोप को अपने पाले में कर लिया जाए. वो इसमें कामयाब भी होते दिखे, जब अमेरिका ने यूरोप को भी रूस के साथ बैठक में नहीं बुलाया. फ्रांस ने सोमवार को इसी सिलसिले में आपातकालीन बैठक बुला ली थी. वहीं ब्रिटेन ने संकेत दिए थे कि वो यूक्रेन में अपनी फौज भेज सकता है. हालांकि, अमेरिका और रूस की बैठक के बाद फ्रांस नरम पड़ता दिख रहा है.

डोनाल्ड ट्रंप ने इस बातचीत के बाद कहा कि वह समझौते को लेकर "बहुत अधिक आश्वस्त" थे. "मुझे लगता है कि मेरे पास इस युद्ध को समाप्त करने की शक्ति है, और मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा चल रहा है." ट्रम्प ने यूक्रेन को शिकायत करने के लिए डांटते हुए कहा कि उसे चर्चा से बाहर कर दिया गया है.यूरोप के शांति सेना भेजने के सवाल पर ट्रंप ने कहा, "अगर वह रूस के साथ वहां युद्ध समाप्त करने के लिए कोई समझौता कर सकते हैं तो वह यूक्रेन में यूरोपीय शांति सैनिकों को भेजने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. अगर वे ऐसा करना चाहते हैं, तो यह बहुत अच्छा है, मैं इसके लिए तैयार हूं."

फ्रांस के तेवर नरम

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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने मंगलवार को कहा कि वह नए अमेरिकी प्रशासन और रूस के बीच वार्ता के बाद यूक्रेन पर एक नई बैठक की मेजबानी करेंगे. उन्होंने कहा कि व्लादिमीर पुतिन के साथ डोनाल्ड ट्रंप एक उपयोगी बातचीत फिर से शुरू कर सकते हैं. फ्रांसीसी क्षेत्रीय समाचार पत्रों के साथ एक साक्षात्कार में, मैक्रो ने कहा कि पेरिस यूक्रेन में जमीनी सैनिकों को मोर्चे पर भेजने की तैयारी नहीं कर रहा है, बल्कि अपने सहयोगी ब्रिटेन के साथ, किसी भी संघर्ष क्षेत्र के बाहर विशेषज्ञों या यहां तक ​​कि सीमित संख्या में सैनिकों को भेजने पर विचार कर रहा है. जाहिर है अमेरिका ने यूरोप को भी वार्ता से सहमत होने की बात रूस से कर एक तरह से फिर से अपने पाले में कर लिया है. ऐसे में जेलेंस्की अब अगर इस बातचीत का विरोध भी करेंगे तो इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.

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