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This Article is From Mar 02, 2012

हम परमाणु ऊर्जा विरोधी एनजीओ के साथ नहीं : अमेरिका

वाशिंगटन: अमेरिका ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस आरोप से इनकार किया है कि वह तमिलनाडु में कुडनकुडलम परमाणु बिजली परियोजना का विरोध करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को सहयोग दे रहा है।

मनमोहन सिंह के आरोप पर सफाई देते हुए अमेरिका ने कहा कि उसका सहयोग केवल उन्हीं एनजीओ को प्राप्त है, जो विकास और लोकतांत्रिक कार्यक्रमों के पक्षधर हैं। वह तो असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के निवेश का पुरजोर समर्थक है।

मनमोहन सिंह के आरोप के बारे में पूछे जाने पर विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलैंड ने कहा, "मुझे इसकी जानकारी नहीं है।"

प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों अमेरिका के तीन गैर सरकारी संगठनों पर कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना का विरोध करने वालों की मदद करने का आरोप लगाया था। लेकिन नूलैंड ने इससे इनकार करते हुए कहा, "हम असैन्य परमाणु ऊर्जा में भारत के निवेश के प्रबल समर्थक रहे हैं। एनजीओ को हमारा समर्थन विकास तथा लोकतांत्रिक कार्यक्रमों को लेकर है। भारत में हम जिन एनजीओ को अनुदान देते हैं, वे इसी तरह के कार्यक्रम में संलग्न हैं।"

यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान से हैरानी हुई और क्या विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को इस बारे में जानकारी है, नूलैंड ने कहा, "मैं इस पर कुछ नहीं कह सकती।"

भारत और पाकिस्तान द्वारा द्विपक्षीय व्यापारिक तथा व्यावसायिक सम्बंध बढ़ाने की दिशा में हाल में उठाए गए कदमों पर उन्होंने कहा, "हम समझते हैं कि यह अच्छी खबर है तथा भविष्य में दोनों देशों के सम्बंध व्यापार, आर्थिक तथा निवेश क्षेत्र में और बेहतर होंगे।"

यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका इसमें किसी तरह की भूमिका निभा रहा है, नूलैंड ने कहा, "दोनों पक्षों को इसे जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने के अतिरिक्त अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है। वे अपने आप इसे कर रहे हैं।"

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