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बांग्लादेश खिलाफत मजलिस का भारतीय दूतावास के सामने 23 अप्रैल को जन मार्च, वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध

मौलाना हक़ ने यह भी कहा कि भारत में इस विधेयक के खिलाफ व्यापक मुस्लिम विरोध देखने को मिला है, और बांग्लादेश खिलाफत मजलिस इस अन्याय के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराएगी.

बांग्लादेश खिलाफत मजलिस का भारतीय दूतावास के सामने 23 अप्रैल को जन मार्च, वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध
फाइल फोटो.
ढाका:

भारतीय संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक को तत्काल रद्द किए जाने और मुसलमानों की कथित हत्या की घटनाओं के विरोध में बांग्लादेश खिलाफत मजलिस 23 अप्रैल को ढाका स्थित भारतीय दूतावास के सामने जन मार्च और ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम आयोजित करेगी. इस कार्यक्रम की घोषणा पार्टी मुख्यालय, पॉल्टन, ढाका में आयोजित केंद्रीय कार्यकारिणी परिषद की बैठक में की गई.

बैठक को संबोधित करते हुए पार्टी के अमीर मौलाना मामूनुल हक़ ने आरोप लगाया कि भारत की हिंदुत्ववादी भाजपा सरकार लम्बे समय से देशभर में मुसलमानों को निशाना बना रही है. चरमपंथी हिंदू समूहों को खुली छूट दी गई है, जो मुसलमानों की जान-माल पर हमले कर रहे हैं. मुसलमानों की ज़मीनों और संपत्तियों, चाहे वे निजी हों या वक्फ की, उस पर जबरन कब्ज़ा कर वहां मंदिर और अन्य ढांचे खड़े किए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा, "अब वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पारित कर इन अवैध कब्ज़ों को कानूनी रूप देने की साज़िश की जा रही है. यह न केवल मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों पर हमला है, बल्कि उनके धार्मिक अधिकारों में सीधा हस्तक्षेप भी है."

मौलाना हक़ ने यह भी कहा कि भारत में इस विधेयक के खिलाफ व्यापक मुस्लिम विरोध देखने को मिला है, और बांग्लादेश खिलाफत मजलिस इस अन्याय के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराएगी. उन्होंने मुस्लिम विश्व से भी अपील की कि वह भारत में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार और धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठाएं.

इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय सरकार और उसकी पक्षपाती मीडिया द्वारा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का झूठा प्रचार किया जा रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि बांग्लादेश सरकार भारत में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी साधे हुए है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने मांग की कि बांग्लादेश सरकार को भारत में हो रही मुस्लिम विरोधी हिंसा पर तत्काल चिंता जतानी चाहिए और संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस विषय को मजबूती से उठाना चाहिए.

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